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115+ आरज़ू शायरी 2 लाइन - आरज़ू Status


दोस्तों हिंदी उर्दू शायरी के इस Post की Topic हैं "आरज़ू Shayari". इसमें आप पढ़ सकते हैं आरज़ू शायरी 2 लाइन, आरज़ू शायरी in Urduआरज़ू Statusआरज़ू शायरी Hindi, आरज़ू शायरी 4 लाइन, पर बनी बेजोड़ शानदार शायरी को, मित्रो आशा करता हूँ कि यह पोस्ट आप सभी शायरी के चाहने वालो को बेहद पसंद आएगी.


Aarzoo-Shayari-2-Line
Aarzoo Shayari 2 Line

आईये अब शुरुआत करते हैं आज के इस खास पोस्ट  Aarzoo Shayari की, और लुफ्त उठाते हैं संग्रह किये गए शेर-ओ-शायरी के जो बेहद पसंद आएगा आप सभी को. 

ना जी भर के देखा न कुछ बात की, बङी आरजु थी मुलाकात की…

1
इक वक़्त था कि दिल को सुकूँ की तलाश थी,
और अब ये आरज़ू है कि दर्द-ए-निहाँ रहे..

2
जीने के आरजू में मरे जा रहे है लोग,
मरने के आरजू में जिया जा रहा हु मै..

3
हर बार उसी से गुफ़्तगू सौ बार उसी की आरज़ू,
वो पास नहीं होता तो भी रहता है मेरे रूबरू..

Har Baar Usi Ki Guftgun Sau Baar Usi Ki Aarzoo,
Wo Paas Nahi Hota To Bhi Hai Mere Rubru..


4
छोड दी हमने हमेशा के लिए उसकी आरजू करना,
जिसे मोहब्बत की कद्र ना हो उसे दुआओ मेक्या मांगना..

5
वो वक़्त गुजर गया जब मुझे तेरी आरज़ू थी,
अब तू खुदा भी बन जाए तो मै सजदा न करूँ..

Wo Waqt Gujar Gaya Jab Mujhe Teri Aarzoo Thi,
Ab Tu Khuda Bhi Ban Jaaye To Main Sajda Na Karun..

6
तेरा ख़याल तेरी आरजू न गयी,
मेरे दिल से तेरी जुस्तजू न गयी,

इश्क में सब कुछ लुटा दिया हँसकर मैंने,
मगर तेरे प्यार की आरजू न गयी..

7
एक पत्थर की आरजू करके,
खुदको ज़ख्मी बना लिया मैंने..

8
आरज़ू‘ तेरी बरक़रार रहे,
दिल का क्या है रहे, रहे न रहे..


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न्हे भी पढ़े:-


9
कभी कभी सोचता हूँ 
आखिर यहाँ कौन जीत गया,

मेरी आरज़ू उसकी ज़िद या 
फिर मोहब्बत?

10
न किसी के दिल की हूँ आरज़ू
न किसी नज़र की हूँ जुस्तजू,

मैं वो फूल हूँ जो उदास हो
न बहार आए तो क्या करूँ..

11
ना खुशी की तलाश है 
ना गम-ए-निजात की आरज़ू,

मै ख़ुद से ही नाराज हूँ 
तेरी नाराजगी के बाद..

   आरज़ू Shayari   

12
मुझे यह डर है तेरी आरज़ू न मिट जाये,
बहुत दिनों से तबियत मेरी उदास नहीं..
नासिर काज़मी

Mujhe Yeh Dar Hai Teri Aarzoo Na Mit Jaye,
Bahut Dino Se Tabiyat Meri Udas Nahin..

13
ख़राब-ए-दहर न मैं ख़ुद हुआ न तू ने किया, 
जो कुछ किया तिरे मिलने की आरज़ू ने किया.. 
ज़ैदी बलगामी

14
आरजू बस इतनी सी है,
जो चाहत थी बो बस एक,

बार फिर से मिले यही बस,
एक आरजू दिल में बसी है..

15
दिल में हर किसी का अरमान नहीं होता
हर कोई दिल का मेहमान नहीं होता,

एक बार जिसकी आरजू दिल में बस जाती है,
उसे भुला देना इतना आसान नहीं होता..

16
आज तक दिल की आरज़ू है वही 
फूल मुरझा गया है बू है वही.. 
जलाल मानकपुरी

17
आरज़ू  होनी चाहिए किसी को याद करने की,
लम्हें तो अपने आप ही मिल जाते हैं.

कौन पूछता है पिंजरे में बंद पंछियों को,
याद वही आते है जो उड़ जाते है..

18
आरजू थी की तेरी बाँहो मे, दम निकले,
लेकिन बेवफा तुम नही,बदनसीब हम निकले..

19
तेरे सीने से लगकर तेरी आरज़ू बन जाऊं,
तेरी साँसों से मिलकर तेरी खुशबु बन जाऊं..

20
ये हवा, ये रात ये चाँदनी
तेरी एक अदा पे निसार हैं,

मुझे क्यों ना हो तेरी आरजू
तेरी जुस्तजू में बहार है..

21
आने लगा हयात को अंजाम का ख्याल,
जब आरजुएं फैल-कर इक दाम बन गयीं..

Aane Laga Hayaat Ko Anjam Ka Khayal,
Jab Aarjuyein Fail-kar Ik Daam Ban Gayi..

22
ये तेरे इश्क का कितना हसीन एहसास है,
लगता है जैसे तू हर पल मेरे पास है,

मोहब्बत तेरी दीवानगी बन चुकी है मेरी,
अब जिंदगी की आरजू सिर्फ तुम्हारा साथ है..

Ye Tere Ishq Ka Kitna Haseen Ehsaas Hai,
Lagta Hai Jaise Tu Har Pal Mere Paas Hai,

Mohabbat Teri Deewangi Ban Chuki Hai Meri,
Ab Zindagi Ki Aarzoo Sirf Tumhara Sath Hai..

23
आरज़ू ये है के इज़हार-ए-मोहब्बत कर दें,
अलफ़ाज़ चुनते हैं तो लम्हात बदल जाते हैं..

Aarzoo Ye Hai Ke Izhaar-e-Mohabbat Kar Dein,
Alfaaz Chunte Hain To Lahmhaat Badal Jaate Hain..



24
तेरे‬ इश्क का कितना हसीन एहसास है,
लगता है जैसे तु हर ‪ पल‬ मेरे पास है,

‪मोहब्बत‬ तेरी दिवानगी बन चुकी है मेरी,
और अब जिन्दगी की ‪ आरजू‬ बस तुम्हारे साथ है..

25
तेरी जुस्तजू तेरी आरज़ू
मेरे दिल में दिलनशीं तू ही तू,

तेरा ही ख़याल है रात-दिन, 
मेरी सोच में मकीं तू ही तू..

26
ये आरज़ू थी के ऐसा भी कुछ हुआ होता,
मेरी कमी ने तुझे भी रुला दिया होता,

मैं लौट आता तेरे पास एक लम्हे में,
तेरे लबों ने मेरा नाम तो लिया होता..

Ye Aarzoo Thi Ke Aisa Bhi Kuchh Hua Hota,
Meri Kami Ne Tujhe Bhi Rula Diya Hota,

Main Laut Aata Tere Paas Ek Lamhe Mein,
Tere Labon Ne Mera Naam To Liya Hota..

26
तेरे सीने से लगकर तेरी आरज़ू बन जाऊं,
तेरी साँसों से मिलकर तेरी खुशबु बन जाऊं..

27
जीने की आरज़ू है,
तो जी चट्टानों की तरह,

वरना पत्तों की तरह,
तुझको हवा ले जायेगी..

28
ये आरज़ू थी तुझे गुल के रू-ब-रू करते
हम और बुलबुल-ए-बेताब गुफ़्तुगू करते..

29
मरते हैं आरज़ू में मरने की, 
मौत आती है पर नहीं आती.. 
मिर्ज़ा ग़ालिब

30
जब कोई नौजवान मरता है, 
आरज़ू का जहान मरता है.. 
फ़ारूक़ नाज़की

   आरज़ू शायरी in Urdu   

31
दिल की आरज़ू थी कोई दिल रूवा मिले,
हकीकत न सही पर सपनों में ही मिलें..

32
तुम आरजू तो करो मोहब्बत करने की,
हम इतने भी गरीब नहीं की मोहब्बत ना दे सके..

33
मुददत से थी किसी से मिलने की आरज़ू 
खुवाइश ए दिदार में सब कुछ भुला दिया,

किसी ने दी खबर वो आएंगे रात को,
इतना किया उजाला अपना घर तक जला दिया..

   आरज़ू शायरी Hindi   

34
ये ज़िन्दगी तेरे साथ हो, ये आरज़ु दिन रात हो,
मैं तेरे संग संग चलूँ, तू हर सफर में मेरे साथ हो..

35
आरजू थी तुम्हारी तलब बनने की,
मलाल ये है कि तुम्हारी लत लग गयी..

36
आरज़ू होनी चाहिए किसी को याद करने की,
लम्हे तो खुद-व-खुद मिल जाया करते हैं..

Aarzoo Honi Chahiye Kisi Ko Yaad Karne Ki,
Lamhe To Khud-Ba-Khud Mil Jaya Karte Hain..

37
आज खुद को तुझमे डुबोने की आरज़ू है,
क़यामत तक सिर्फ तेरा होने की आरज़ू है,

किसने कहा गले से लगा ले मुझको, मग़र
तेरी गोद में सर रखकर सोने की आरज़ू है..

   आरज़ू शायरी 4 लाइन   

38
ज़िन्दगी की आखरी आरजू बस यही हैं,
तू सलामत रहें दुआँ बस यही हैं..

39
खुल गया उन की आरज़ू में ये राज़, 
ज़ीस्त अपनी नहीं पराई है.. 
शकील बदायुनी

40
अब तुझसे शिकायत करना, 
मेरे हक मे नहीं,

क्योंकि तू आरजू मेरी थी,
पर अमानत शायद किसी और की.. 

41
जरूरी नहीं ये बिल्कुल कि तू
मेरी हर बात को समझे,

आरजू बस इतनी है कि 
तू मुझे कुछ तो समझे..

42
बड़ी आरज़ू थी मोहब्बत को 
बेनकाब देखने की,

दुपट्टा जो सरका तो 
जुल्फें दीवार बन गयी..

Badi Aarzoo Thi Mohabbat Ko 
Benaqab Dekhne Ki,

Dupatta Jo Sarka To 
Zulfein Deewar Ban Gayi..

43
ख़त लिखूं तो क्या लिखूं
आरजू मदहोश है,

ख़त पे गिर रहे हैं आंसू
और कलम खामोश है..

44
अब तुझसे शिकायत करना, 
मेरे हक मे नहीं,

क्योंकि तू आरजू मेरी थी,
पर अमानत शायद किसी और की..

45
कुछ आग आरज़ू की,
उम्मीद का धुआँ कुछ,

हाँ राख ही तो ठहरा, 
अंजाम जिंदगी का..

46
आरज़ू मेरी, चाहत तेरी,
तमन्ना मेरी, उल्फत तेरी,

इबादत मेरी, मोहब्बत तेरी,
बस तुझ से तुझ तक है दुनिया मेरी..

47
आरज़ू हसरत और उम्मीद 
शिकायत आँसू,

इक तिरा ज़िक्र था 
और बीच में क्या क्या निकला..

48
तुझे पाने की आरज़ू में तुझे गंवाता रहा हूँ,
रुस्वा तेरे प्यार में होता रहा हूँ,

मुझसे ना पूछ तू मेरे दिल का हाल,
तेरी जुदाई में रोज़ रोता रहा हूँ..

Tujhe Paane Ki Aarzoo Me Tujhe Ganwata Raha Hun,
Rushwa Tere Pyar Me Hota Raha Hun,

Mujhse Na Poochh Tu Mere Dil Ka Haal,
Teri Judai Me Roj Rota Raha Hun..

49
दस्तक सुनी तो जाग उठा दर्दे आरज़ू,
अपनी तरफ क्यों आती नहीं प्यार की हवा..

50
मिलने से भी अजीब है मिलने की आरज़ू ,
है वस्ल से भी ज्यादा मज़ा इंतज़ार में..

Milne Se Bhi Ajeez Hai Milne Ki Aarzoo,
Hai Vasl Se Bhi Jiyada Mazaa Intezar Mein..

   आरज़ू Shayari   

51
आरज़ू ये नहीं कि ग़म का तूफ़ान टल जाये,
फ़िक्र तो ये है कि कहीं आपका दिल न बदल जाये,

कभी मुझको अगर भुलाना चाहो तो,
दर्द इतना देना कि मेरा दम ही निकल जाये..

52
थाम लेना हाथ मेरा कभी पीछे जो छूट जाऊँ,
मना लेना मुझे जो कभी तुमसे रूठ जाऊँ,

मैं पागल ही सही मगर मैं वो हूँ,
जो तेरी हर आरजू के लिये टूट जाऊँ..

53
ऐसा नहीं है कि अब तेरी जुस्तजू नहीं रही,
बस टूट कर बिखरने की आरज़ू नहीं रही..

Aisa Nahi Hai Ki Ab Teri Justzu Nahi Rahi,
Bas Tut Kar Bikharne Ki Aarzoo Nahi Rahi..



54
ऐ मौत तुझे भी गले लगा लूँगा जरा ठहर,
अभी है आरज़ू सनम से लिपट जाने की..

Ai Maut Tujhe Bhi Gale Laga Lunga Jara Thahar,
Abhi Hai Aarzoo Sanam Se Lipat Jaane Ki..

55
तुझसे मिले न थे तो कोई आरजू न थी,
देखा तुम्हें तो तेरे तलबगार हो गये..

56
वो हादसे भी दहर में हम पर गुज़र गए,
जीने की आरज़ू में कई बार मर गए..


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न्हे भी पढ़े:-
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57
ख़ामोश सा शहर और गुफ़्तगू की आरज़ू,
हम किससे करें बात, कोई बोलता ही नही..

58
मेरे जीने की ये आरजू तेरे आने की दुआ करे,
कुछ इस तरह से दर्द भी तेरे सीने में हुआ..
करे।

59
सितारों की महफ़िल ने करके इशारा ,
कहा अब तो सारा जहाँ है तुम्हारा,

मुहब्बत जवाँ हो, खुला आसमाँ हो,
करे कोई दिल आरजू और क्या..

   आरज़ू शायरी in Urdu   

60
इंतज़ार की आरज़ू अब खो गयी है,
खामोशियो की आदत हो गयी है,

न सीकवा रहा न शिकायत किसी से,
अगर है तो एक मोहब्बत,
जो इन तन्हाइयों से हो गई है..

61
छोड दी हमने हमेशा के लिए 
उसकी आरजू करना,

जिसे मोहब्बत की कद्र ना हो 
उसे दुआओ मे क्या मांगना..

62
आँखो की चमक पलकों की शान हो तुम,
चेहरे की हँसी लबों की मुस्कान हो तुम,

धड़कता है दिल बस तुम्हारी आरज़ू मे,
फिर कैसे ना कहूँ मेरी जान हो तुम..

63
है आरज़ू एक रात तुम आओ ख्वाब में,
बस दुआ है उस रात कि सुबह न हो..

Hai Aarzoo Ek Raat Tum Aao Khwaab Me,
Bas Dua Hai Us Raat Ki Kabhi Subha Na Ho..

64
उम्र-ए-दराज़ मांग के लाये थे चार दिन,
दो आरज़ू में कट गए दो इंतजार में,

Umr-e-Daraaz Maang Ke Laaye The Chaar Din,
Do Aarzoo Me Kat Gaye Do Intezar Mein..

65
तुम्हारी आरज़ू मे मैने अपनी आरज़ू की थी
ख़ुद अपनी जुस्तुजू का आप हासिल हो गया हूँ मै..

66
कटती है आरज़ू के सहारे ज़िन्दगी
कैसे कहूँ किसी की तमन्ना नहीं..

67
कैसी ख़्वाहिश, कौन-सी आरज़ू
वक़्त ने जो थमा दिया, वही लेकर चल दिए..

68
हम खुदा थे गर न होता दिल में कोई मुद्दा,
आरजुओं ने हमारी हमको बन्दा कर दिया..

Hum Khuda The Gar Na Hota Dil Me Koi Mudda,
Aarzuon Ne Humari Humko Bandaa Kar Diya..

69
न खुशी की तलाश है न गम-ए-निजात की आरजू,
मैं खुद से भी नाराज़ हूँ तेरी नाराजगी के बाद..

Na Khushi Ki Talaash Hai Na Gam-e-Nijaat Ki Aarzoo,
Main Khud Se Bhi Naraaj Hun Teri Naraajgi Ke Baad..

70
साक़ी मुझे भी चाहिए इक जाम-ए-आरज़ू,
कितने लगेंगे दाम ज़रा आँख तो मिला..

71
ज़रा शिद्दत से चाहो तभी होगी आरज़ू पूरी
हम वो नहीं जो तुम्हे खैरात में मिल जायेंगे..

72
हे आरजू की एक रात तुम आओ ख्वाबोँ मेँ,
बस दुआ हे उस रात की कभी सुबह न हो.. 

73
ग़म-ए-ज़माना ने मजबूर कर दिया वर्ना, 
ये आरज़ू थी कि बस तेरी आरज़ू करते.. 
ख़्तर शीरानी

74
हम क्या करें अगर न तिरी आरज़ू करें
दुनिया में और भी कोई तेरे सिवा है क्या.. 
सरत मोहानी

75
बहुत अज़ीज़ थी ये ज़िंदगी मगर हम लोग, 
कभी कभी तो किसी आरज़ू में मर भी गए..
ब्बास रिज़वी

76
ख़ामोश सा शहर और गुफ़्तगू की आरज़ू,
हम किससे करें बात, कोई बोलता ही नही.. 

77
तेरी आरज़ू मेरा ख्वाब है,
जिसका रास्ता बहुत खराब है,

मेरे ज़ख्म का अंदाज़ा न लगा,
दिल का हर पन्ना दर्द की किताब है..

   आरज़ू शायरी 4 लाइन   

78
साँस रूक जाये भला ही तेरा इन्तज़ार करते-करते,
तेरे दीदार की आरज़ू हरगिज कम ना होगी..

79
काश की मुझे मुहब्बत ना होती
काश की मुझे तेरी आरज़ू ना होती,

जी लेते यू ही ज़िंदगी को हम तेरे बिन
काश की ये तड़प हमे ना होती..

80
उलझी सी ज़िन्दगी को सवारने की 
आरजू में बैठे हैं,

कोई अपना दिख जाए 
शायद उसे पुकारने को बैठे है..


81
तमन्ना है मेरी कि 
आपकी आरज़ू बन जाऊं,

आपकी आँख का तारा ना सही 
आपकी आँख का आंसू बन जाऊं..

82
तेरे सीने से लगकर तेरी आरज़ू बन जाऊ,
तेरी साँसों से मिलकर तेरी खुशबू बन जाऊ,

फासले न रहें कोई तेरे मेरे दरमियाँ,
मैं मैं न रहूँ बस तू ही तू बन जाए..

Tere Seene Se Lagkar Teri Aarzoo Ban Jaun,
Teri Saanso Se Milkar Teri Khushbu Ban Jaun,

Faasle Na Rahein Koi Tere Mere Darmiyan,
Main Main Na Rahun Bas Tu Hi Tu Ban Jaun..

83
आरज़ू थी कि एक लम्हा जी लूँ 
तेरे कन्धे पे सर रख के,

मग़र ख्वाब तो ख्वाब हैं,
पूरे कब होते हैं?

   आरज़ू शायरी Hindi   

84
डरता हूँ देख कर दिल-ए-बे-आरज़ू को मैं, 
सुनसान घर ये क्यूँ न हो मेहमान तो गया.. 
दाग़ देहलवी

85
इस लिए आरज़ू छुपाई है, 
मुँह से निकली हुई पराई है.. 
क़मर जलालवी

86
रखी न होती जो कुछ आरजू मोहब्बत की,
दिल-ओ-दिमाग़ से हम भी हिले नहीं होते..

87
आरजू इश्क़ मोहब्बत इसमे कभी आना नहीं,
जीना है अगर शान से तो किसी से दिल लगाना नहीं..

88
आरज़ू यह नहीं कि ग़म का 
तूफ़ान टल जाए,

फ़िक्र तो यह है कि कहीं 
आपका दिल न बदल जाए,

कभी मुझको अगर 
भुलाना चाहो तो,

दर्द इतना देना कि 
मेरा दम निकल जाए..

   आरज़ू शायरी in Urdu   

89
कोई गिला कोई शिकवा जरा रहे तुमसे,
ये आरजू है कि इक सिलसिला रहे तुमसे..

90
ख्वाइश बस इतनी सी है की 
तुम मेरे लफ़्ज़ों को समझो,

आरज़ू ये नही की लोग 
वाह वाह करें..

91
लुत्फ़ दूना हो जो दोनों घर मिरे आबाद हों, 
तू रहे पहलू में तेरी आरज़ू दिल में रहे.. 
लील मानिकपूरी

92
बहाने और भी होते जो ज़िंदगी के लिए, 
हम एक बार तिरी आरज़ू भी खो देते.. 
जरूह सुल्तानपुरी

93
यह आरजू नहीं कि किसी को भुलाएं हम,
न तमन्ना है कि किसी को रुलाएं हम..


94
कोई गिला कोई शिकवा ना रहे आपसे
यह आरज़ू है कि सिलसिला रहे आपसे,

बस इस बात की बड़ी उम्मीद है आपसे
खफा ना होना अगर हम खफा रहें आपसे..

95
आरज़ू, हसरत, तमन्ना और ख़ुशी कुछ भी नही,
ज़िन्दगी में तू नही तो ज़िन्दगी कुछ भी नही..

96
आरज़ू ज़िन्दगी हसरत तमन्ना. कटती है 
आरज़ू के सहारे ज़िन्दगी, मत पूछो कैसे.

गुजरता है हर पल तुम्हारे बिना,
कभी मिलने की हसरत कभी देखने की तमन्ना..


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97
ऐसा नहीं की ज़िन्दगी में कोई आरजू ही नहीं,
पर वो ख्वाब पूरा कैसे करूँ जिसमे तू ही नहीं..

98
ये हवा, ये रात ये चाँदनी
तेरी एक अदा पे निसार हैं,

मुझे क्यों ना हो तेरी आरजू
तेरी जुस्तजू में बहार है..

99
एक पत्थर की आरजू करके,
खुदको ज़ख्मी बना लिया मैंने..

100
थाम लेना हाथ मेरा कभी पीछे जो छूट जाऊँ
मना लेना मुझे जो कभी तुमसे रूठ जाऊँ,

मैं पागल ही सही मगर मैं वो हूँ
जो तेरी हर आरजू के लिये टूट जाऊँ..

101
ना खुशी की तलाश है ना गम-ए-निजात की आरज़ू..
मै ख़ुद से ही नाराज हूँ तेरी नाराजगी के बाद..

102
साक़ी मुझे भी चाहिए इक जाम-ए-आरज़ू ,
कितने लगेंगे दाम ज़रा आँख तो मिला..

103
क्या वो ख़्वाहिश कि जिसे 
दिल भी समझता हो हक़ीर,
आरज़ू वो है जो सीने में रहे 
नाज़ के साथ.. 
कबर इलाहाबादी

104
आरज़ू‘ तेरी बरक़रार रहे …
दिल का क्या है रहे, रहे न रहे..

105
सुनो ना अरमानों को यूँ ही मचलने दो,
आरजू मिलने की यूँ ही बरकरार रखना.

यह जरूरी तो नही मुलाकत मुमकिंन हो,
मगर रूह से इश्क़ को यूँही आबाद रखना.. 

106
आरजू यह है कि इजहार ए मोहब्बत कर दें,
अल्फाज चुनते हैं तो लम्हात बदल जाते हैं..

107
आरज़ू है कि तू यहाँ आए 
और फिर उम्र भर न जाए कहीं.. 
नासिर काज़मी

108
आरज़ू वस्ल की रखती है परेशाँ क्या क्या 
क्या बताऊँ कि मेरे दिल में है अरमाँ क्या क्या.. 
अख़्तर शीरानी

109
कुछ आग आरज़ू की, उम्मीद का धुआँ कुछ
हाँ राख ही तो ठहरा, अंजाम जिंदगी का..

110
साँस रूक जाये भला ही तेरा इन्तज़ार करते-करते
तेरे दीदार की आरज़ू हरगिज कम ना होगी..

111
न किसी के दिल की हूँ आरज़ू
न किसी नज़र की हूँ जुस्तजू,

मैं वो फूल हूँ जो उदास हो
न बहार आए तो क्या करूँ..

112
किसको ख्वाहिश है ख्वाब बनके 
पलकों पे सजने की,

हम तो आरजू बनके तेरे दिल में 
बसना चाहते हैं.. 

113
सिलसिला वफाओं का तुम जारी रखना,
आरज़ू मिलन की हम पूरी करते हैं..

114
आरज़ू तेरी बरक़रार रहे 
दिल का क्या है रहा रहा न रहा.. 
हसरत मोहानी

115
तेरे‬ इश्क का कितना हसीन एहसास है,
लगता है जैसे तु हर ‪ पल‬ मेरे पास है,

मोहब्बत‬ तेरी दिवानगी बन चुकी है मेरी,
और अब जिन्दगी की ‪आरजू‬ बस तुम्हारे साथ है..

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