जयप्रकाश नारायण की जीवनी – Jayaprakash Narayan Biography
दोस्तों आज के आर्टिकल (Biography) में जानते हैं भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी, राजनेता, भारत रत्न से सम्मानित “जयप्रकाश नारायण की जीवनी” (Jayaprakash Narayan Biography in Hindi) के बारे में.
एक झलक जयप्रकाश नारायण के जीवन काल पर
भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और लोकप्रिय प्रसिद्ध समाजवादी राजनेता के रूप में आने जाते थे जयप्रकाश नारायण जी विचार के पक्के और बुद्धि के सुलझे हुए व्यक्तित्व के स्वामी थे.
अन्धकार में डूबे देश को प्रकाश में लाने का कार्य किया, देश के नवनिर्माण के कार्य में लगे रहे इसी कारण उन्हें लोग लोकनायक जयप्रकाश नारायण और जेपी नारायण के नाम से जानते थे.
लोगो के ह्रदय में वे अपनी एक अलग छाप छोड़ी और लोग आज भी उन्हें श्रधा के साथ याद करते हैं. इनके द्वारा दिया गया समाजवाद के नारे की गूंज आज भी सुनाई देती हैं.
इंदिरा गांधी का विरोध : लोकनायक जेपी नारायण सन 1970 के दौरान इंदिरा गांधी के विरोध में, विपक्ष का नेतृत्व करने वालों में से इनका नाम सर्वप्रथम आता हैं.
चुनाव में इंदिरा गांधी को हराया : वे हमेशा इंदिरा गांधी द्वारा चलायी जा रही प्रशासनिक नीतियों के विरोधी थे. सन 1977 के दौरान लगातार अस्वस्थ रहने के बावजूद उन्होंने इंदिरा गांधी के खिलाफ़ विपक्ष को एकजुट किया और इंदिरा गांधी को चुनाव में हराया.
आईये जाने जयप्रकाश नारायण की जीवनी को
लोकप्रिय प्रसिद्ध समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को विजयादशमी के दिन बिहार राज्य के सारण जिले में स्थित सिताबदियारा नामक गाँव में हुआ.
उनके पिता श्री का नाम हर्सुल दयाल श्रीवास्तव और माता जी का नाम फूल रानी देवी था. इन्हें चार वर्ष तक दाँत नहीं आया इसके चलते माताजी इनको "बऊल जी" कहकर बुलाती थी. जेपी नारायण अपने माता-पिता की चौथी संतान थे.
प्रारम्भिक शिक्षा.
9 वर्ष की आयु में ही अपनी शिक्षा के लिए गाँव छोड़कर पटना चले गए और वहा पर कॉलेजिएट स्कूल में दाखिला लिया. स्कूल में उन्हें कई तरह की पुस्तकों को पढ़ने का अवसर मिला उसमे खास रही उनके लिए
- सरस्वती,
- प्रभा
- प्रताप
जैसी पत्रिकाए, उन्होंने साथ ही भारत-भारती, मैथिलीशरण गुप्त और भारतेंदु हरिश्चंद्र के कविताओं को भी पढ़ने का मौका मिला. और वही रह कर भागवत गीता का भी अध्यन किया.
उच्चशिक्षा : बचपन से ही जयप्रकाश नारायण राष्ट्रवादी विचारधारा के थे और शुरू से ही खादी के कपड़ो को पहना. अपनी आगे की उच्चशिक्षा बिहार विद्यापीठ से पूरी की.
विवाह :
जब वे 18 वर्ष के हुए तब उनके घरवालो ने सन 1920 में में उनका विवाह प्रभावती देवी से करा दिया. लेकिन विवाह के बाद भी जयप्रकाश जी अपनी पढाई को लेकर व्यस्त रहते थे जिसके कारण प्रभावती जी को अपना समय और साथ नहीं दे पाते थे. जिसके कारण प्रभावती जी कस्तूरबा गांधी जी के साथ गांधी आश्रम मे रहने लगी थी.
अमेरिकी विश्वविद्यालय में अध्ययन : M.A. करने के बाद सन 1922 में अमेरिकी विश्वविद्यालय में उन्होंने आठ वर्षो तक अध्यन किया. और अध्यन के दौरान पढाई का खर्च उठाने के लिए काम भी करते थे.
खेतों, कंपनियों, रेस्टोरेन्टों इत्यादि जगहों पर कार्य किया. जिसके वजह से उन्हें श्रमिक वर्ग के लोगो के बीच रहना पड़ा, और उनकी परेशानियों का ज्ञान हुआ. मार्क्सवादी दर्शन से गहरे प्रभावित हुए.
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भारत वापसी:
उन्होने अपनी मेहनत और लगन के बल पर एम.ए. की डिग्री हासिल की लेकिन वो अपनी पी.एच.डी की तैयारी में लगे थे तभी भारत से खबर आई की उनकी माता जी की तबियत ठीक नहीं हैं तब वे पी.एच.डी की पढाई पूरी किये बिना भारत लौट आये.
स्वाधीनता आन्दोलन:
माता जी की तबियत ठीक नहीं होने के कारण अमेरिका से 1929 जब भारत पहुचे तो देश का नज़ारा कुछ और ही था. चारो तरफ स्वतंत्रता संग्राम की ज्वाला धधक रही थी.
जयप्रकाश जी के ह्रदय में स्वतंत्रता संग्राम की धधकती ज्वाला को हवा तब और मिली, जब उन्होंने मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का भाषण सुना जिसमे कहा था की.
नौजवानों अंग्रेज़ी (शिक्षा) का त्याग करो और मैदान में आकर ब्रिटिश हुक़ूमत की ढहती दीवारों को धराशायी करो और ऐसे हिन्दुस्तान का निर्माण करो, जो सारे आलम में ख़ुशबू फैला दे.
इसी तरह जेपी जी की मुलाकात जवाहर लाल नेहरु और महात्मा गाधी जी से हुयी. और उसी के बाद से स्वतंत्रता संग्राम का एक हिस्सा बन गए.
जयप्रकाश नारायण की जीवनी – Jayaprakash Narayan Biography
सन 1932 के दौरान चल रहे विनय अवज्ञा आन्दोलन में गांधी, नेहरु समेत अन्य कांग्रेसी नेताओं को जेल हो गयी तब जेपी जी ने भारत के अलग-अलग हिस्सों मे स्वतंत्रता संग्राम के आन्दोलन को जारी रखा और उसे एक नयी दिशा प्रदान की.
मद्रास में गिरफ्तार : सितंबर 1932 मे ब्रिटिश सरकार ने उनको मद्रास से गिरफ्तार कर लिया और उसके बाद उन्हें नासिक जेल भेज दिया जहा उनकी मुलाकात, अच्युत पटवर्धन, एम. आर. मासानी, अशोक मेहता, एम. एच. दांतवाला, और सी. के. नारायणस्वामी जैसे दिग्गज नेताओं से हुयी.
कांग्रेस सोसलिस्ट पार्टी (सी.एस.पी) की नींव : इन नेताओं के आपसी विचार और सहमति से कांग्रेस सोसलिस्ट पार्टी (सी.एस.पी) की नींव राखी गयी.
चुनाव का विरोध : 1934 मे हो रहे चुनाव में कांग्रेस ने हिस्सा लेने का फैसला किया तब कांग्रेस सोसलिस्ट पार्टी ने इसका विरोध खुल कर किया.
द्वितीय विश्वयुद्ध : जब विश्व द्वितीय विश्वयुद्ध से घिरा हुआ था. तब जयप्रकाश जी ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया था, और उन्होंने एसे अभियान को चलाया जिसके कारण सरकार को मिलने वाला राजस्व रोका जा सके.
9 महीने की कैद : अग्रेजी हुकूमत के खिलाफ़ चलाये जाने वाले अभियान के तहत उन्हें गिरफ्तार कर लिया और उन्हें 9 महीने के लिए कारावास की सजा सुना दी गयी.
जेल से फरार : सन 1942 में देश के अन्दर ‘भारत छोडो’ आंदोलन अपनी तेजी में था तब जेपी जी हजारीबाग जेल से फरार हो गए.
देश की आज़ादी : और इस प्रकार अथक प्रयास के फलस्वरूप 15 अगस्त, सन् 1947 को हमारा देश आज़ाद हो गया.
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आपातकाल का दौर
आजादी के बाद देश की सत्ता को संभालने के लिए कई सरकारे आई, और उन्होंने कई षड़यंत्र और घोटाले किये जिसके कारण देश को सामाजिक और आर्थिक नुकसान हुआ.
देश में महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी : का बोलबाला था. इसे देखते हुए एक बार पुनः युवाओं के माध्यम से जनता को एक जुट किया,
सम्पूर्ण क्रान्ति : देश में बढ़ रही लगातार महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के विषय में उन्होंने बोला की इस समस्या का इलाज तभी हो सकता हैं जब सम्पूर्ण व्यवस्था बदल दी जाए और सम्पूर्ण व्यवस्था के परिवर्तन के लिए एक ओर क्रान्ति की आवश्यक है. ’सम्पूर्ण क्रान्ति’ की.
आजाद भारत के गांधी : जयप्रकाश जी द्वारा चलाये जा रहे अहिंसावादी आंदोलन को देखते हुए लोगो ने उनको आजाद भारत के गांधी की उपाधि दे दी.
इंदिरा जी के खिलाफ़ विरोध : एक समय जे.पी. जी कांग्रेस में ही थे, लेकिन जब भारत आज़ाद हुआ और देश की सत्ता कांग्रेस के हाथ आई तब महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी बढ़ने लगी और उसी दौरान इंदिरा गांधी सरकार के भ्रष्ट व अलोकतांत्रिक तरीकों ने उन्हें कांग्रेस से मुह मोड लेने पर विवश कर दिया. और इंदिरा गांधी के खिलाफ़ विरोध किया.
इस्तीफे की मांग : सन 1975 में इंदिरा गांधी के खिलाफ़ चुनावों में भ्रष्टाचार फ़ैलाने का आरोप अदालत में साबित हो गया तब जेपी जी ने विपक्ष के साथ मिल कर उनके इस्तीफे की मांग की.
राष्ट्रीय आपातकाल : इस्तीफे की मांग को लेकर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर दिया, और जयप्रकाश नारायण समेत हजारों विपक्षी नेताओं को गिरफ़्तार कर लिया गया.
गैर कांग्रेसी सरकार : आखिरकार सन 1977 को इंदिरा गाँधी की सरकार ने आपातकाल हटाने का निर्णय लिया. और उसके बाद मार्च 1977 में चुनाव हुआ. तब देश में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बनी. और यह जीत लोकनायक के “संपूर्ण क्रांति आदोलन” की वजह से मिली. और देश में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बनी.
आखिरी सफ़र:
आन्दोलन की वजह से जेल में बंद रहने के कारण उनका स्वास्थ्य दिन प्रति दिन बिगड़ता गया, एक दिन अचानक 24 अक्टूबर 1976 को उनकी हालत और ख़राब होंगे लगी तब 2 नवम्बर 1976 को उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया.
रिहाई के बाद मुंबई में स्थित जसलोक अस्पताल में उन्हें ले जाया गया, और जांच के बाद डाक्टरों ने बताया की इनकी किडनी ख़राब हो गयी हैं. जिसके वजह से उन्हें डायलिसिस पर रखा हैं.
निधन : 8 अक्टूबर, 1979 को बिहार राज्य के पटना में मधुमेह और ह्रदय रोग के कारण उनका निधन हो गया.
भारत रत्न सम्मान:
स्वार्थलोलुपता से परे देश के सच्चे सपूत थे. जेपी जी ने देश के सच्चे सपूत के रूप में निष्ठा भाव से भारत की सेवा की, देश को अंग्रेजो से मुक्त करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई देश के नवनिर्माण में कार्य किया जिसके कारण उन्हें लोग लोकनायक के नाम से भी जानते हैं. उन्होंने अनेक यूरोपीय यात्राओं को किया सर्वोदय के सिद्धान्त को पुरे विश्व तक पहुँचाया और उसका प्रचार प्रसार किया.
भारत रत्न : सन 1998 में "लोकनायक जयप्रकाश नारायण" को मरणोपरान्त भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया.
मैगसेसे पुरस्कार : सन 1965 में उन्हें समाज सेवा के लिए मैगसेसे पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.
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