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सरदार वल्लभ भाई पटेल की जीवनी - Sardar Vallabhbhai Patel Biography In Hindi

सरदार वल्लभ भाई पटेल की जीवनी - Sardar Vallabhbhai Patel Biography In Hindi

दोस्तों आज के आर्टिकल (Biography) में जानते हैं, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, भारत के प्रथम गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री रहे लौह पुरूष  “सरदार वल्लभ भाई पटेल की जीवनी” (Sardar Vallabhbhai Patel Biography) के बारे में.

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एक झलक सरदार वल्लभ भाई पटेल की जीवनी पर :

Sardar Vallabhbhai Patel जी का जन्म गुजरात में स्थित नाडियाड में 31 अक्टूबर, 1875 को हुआ. इनके पिता जी का नाम झवेरभाई पटेल था और माता जी का नाम लाड़बाई था. ये अपने माता पिता की चौथी संतान थे. और ये पट्टीदार जाति के एक समृद्ध ज़मींदार परिवार से थे.

भाई व बहन :
वल्लभभाई पाँच भाई व एक बहन थे। भाइयों के नाम सोभाभाई, नरसिंहभाई, विट्ठलभाई, वल्लभभाई और काशीभाई थे. बहन डाबीहा सबसे छोटी थी.


शिक्षा :
सरदार पटेल जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा करमसद में प्राथमिक विद्यालय से की और उसके बाद पेटलाद स्थित उच्च विद्यालय में अपना दाखिला लिया और वह से भी अपने आगे की शिक्षा ली. और उन्होंने मुख्यतः अपनी शिक्षा स्वाध्याय से की.

विवाह :
जब Vallabhbhai Patel जी की उम्र 16 वर्ष की हुयी तब इनके माता पिता ने इनका  विवाह करा दिया. इनकी पत्नी का नाम झावेरबा था.

अधिवक्ता कार्यालय की स्थापना :
 मैट्रिक की परीक्षा 22 वर्ष की उम्र में पूरी की. इसी के साथ  ज़िला अधिवक्ता की परीक्षा को भी उत्तीर्ण किया और उन्हें इसी के बाद अनुमति मिल गयी वकालत करने की एक अधिवक्ता के रूप में. और सन 1900 में उन्होंने गोधरा मे स्वतंत्र ज़िला अधिवक्ता कार्यालय की स्थापना की. और दो वर्षो तक कार्य किया उसके बाद खेड़ा ज़िले में स्थित बोरसद चले गए.

व्यावसायिक शुरुआत :
सरदार पटेल अपने वकालत के कार्य में इतने माहिर हो गए थे कि कमजोर से कमजोर मुकदमे भी सटीकता से प्रस्तुत करते थे. और पुलिस के गवाहों तथा अंग्रेज़ न्यायाधीशों को अपनी दलीलों से चुनौती दिया करते थे.

पत्नी का निधन :
तभी उनके साथ एक हादसा घटित हुआ सन 1908 में पत्नी का निधन हो गया जिसके कारण उन्हें काफी दुःख हुआ.  और पत्नी के निधन के बाद उन्होंने दूसरी शादी नहीं की आजीवन उन्होंने  विधुर का जीवन व्यतीत किया. इनके दो बालक थे एक पुत्र और एक पुत्री के रूप में.

 लंदन की ओर :
इसी के बाद वकालत की आगे की पढाई के लिए अगस्त, 1910 में लंदन चले गए और उन्होंने वही पर रह कर  मिड्ल टेंपल का अध्ययन किया और अंतिम परीक्षा में उच्च प्रतिष्ठा के साथ उत्तीर्ण हुए.

सरदार वल्लभ भाई पटेल का जीवनी परिचय - Sardar Vallabhbhai Patel Biography In Hindi

भारत आगमन :
पढाई पूरी करने के बाद फ़रवरी, 1913 में Sardar Patel वापस भारत आ गए और फिर से उन्होंने शुरू की वकालत और देखते देखते ही  अहमदाबाद अधिवक्ता बार में अपराध क़ानून के नामी वकील बन गए. उनकी शोहरत प्रकाश की तरह फ़ैलने लगी. हमेशा गम्भीर और शालीन रहने वाले Sardar Vallabhbhai Patel जी अपने उच्च स्तरीय तौर-तरीक़ों और चुस्त, अंग्रेज़ी पहनावे के लिए भी जाने - पहचाने  जाते थे.
राजनीतिक सफ़र :
सन 1917 में देश की आज़ादी के लिए गांधी जी द्वारा चलाये जा रहे सत्याग्रह आन्दोलन के कारण  सरदार पटेल गाँधी जी से अत्यधिक प्रभावित हुए और उन्हें अन्दर से महसूस होने लगा की उनमे काफी बदलाव सा आ गया हैं. उनकी दिशा ही बदल गयी.

और इसके बाद से ही वो गाँधी जी के साथ सत्याग्रह (अंहिसा की नीति) के साथ जुड़ गए और अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ जंग शुरू कर दी. लेकिन कभी वह गाँधीजी के नैतिक विश्वासों व आदर्शों को अपने अन्दर जगह नहीं दी. लेकिन अपनी शैली और वेशभूषा में पूरा परिवर्तन ले आये गुजरात क्लब छोड़ दिया और भारतीय किसानों के समान सफ़ेद वस्त्र पहनने लगे तथा भारतीय खान-पान को पूरी तरह से अपना लिया.

बारदोली सत्याग्रह  :
सरदार पटेल ने अहमदनगर के पहले भारतीय निगम आयुक्त के रूप में सन 1917 से लेकर सन 1924 तक अपनी सेवा प्रदान की. और इसी के साथ निर्वाचित नगरपालिका अध्यक्ष के रूप में सन 1924 से लेकर सन 1928 तक कार्य किया.

अपने इसी कार्यकाल के दौरान सन 1928 में बारदोली के भूमिपतियों के ऊपर अंग्रेजो द्वारा बढ़ाये गए करों के ख़िलाफ़ संघर्ष किया और सफलतापूर्वक संघर्ष का लोगो के साथ मिलकर नेतृत्व किया.

"सरदार" की उपाधि :
पटेल जी द्वारा बारदोली सत्याग्रह के आन्दोलन का कुशलतापूर्वक  नेतृत्व करने के कारण लोगो ने इनको "सरदार" की उपाधि दी और इसी के बाद से सरदार पटेल के भी नाम से प्रसिद्ध हुए.

राष्ट्रवादी नेता :
इस सफलता के बाद उनके कदम पीछे नहीं पड़े और लगातार आगे बढ़ते गए.  देश भर में लोग उन्हें एक राष्ट्रवादी नेता के रूप पहचानने लगे. लोग उन्हें व्यावहारिक, निर्णायक और यहाँ तक कि कठोर भी कहते थे और अंग्रेज़ तो उन्हें एक ख़तरनाक शक्तिशाली दुश्मन भी मानते थे.

अध्यक्ष पद से नाम वापसी :
सन 1929 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा किये गए लाहौर अधिवेशन में  गाँधी जी के बाद सरदार पटेल की ही नाम आता हैं अध्यक्ष पद के दूसरे उम्मीदवार के रूप में. तब स्वाधीनता के प्रस्ताव को स्वीकृत होने से रोकने के लिए गाँधी जी ने अध्यक्ष पद की दावेदारी छोड़ दी. और इसी के साथ अध्यक्ष पद के दूसरे उम्मीदवार के रूप में रहे पटेल जी को भी इस दावेदारी से नाम वापसी लेने के लिए अपना काफी दबाव डाला और  इसी के साथ जवाहरलाल नेहरू को अध्यक्ष बनाया.
जेल यात्रा :
गाँधी जी द्वारा चलाये जा रहे सन 1930 में नमक सत्याग्रह के आन्दोलन में सरदार पटेल ने भी अपनी अहम्न भूमिका निभाई थी जिसके कारण उन्हें तीन महीने की कारावास की सजा हुई. और इसके बाद वे रिहा हुए तब उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के करांची अधिवेशन की अध्यक्षता मार्च, 1931 में की और फिर एक बार उनकी गिरफ्तारी हुयी जनवरी, 1932 में और उसके बाद सन 1934 में फिर से रिहाई हुयी.

अध्यक्ष पद के प्रमुख दावेदार :
कारावास से आज़ाद होने के बाद कांग्रेस पार्टी के संगठन को काफी मजबुती प्रदान की और 1937 के चुनावों में  संगठन को व्यवस्थित किया. सन 1937 से 1938 में वे कांग्रेस के अध्यक्ष पद के प्रमुख दावेदार के रूप में थे. लेकिन फिर गाँधी जी ने बीच में आकर उनपे दुबारा से  अपना दबाव डाला जिसके कारण फिर Sardar Vallabhbhai Patel जी ने अपना नाम वापस ले लिया और दुबारा से नेहरू जी बन गए अध्यक्ष
  
अंग्रेजो ने फिर एक बार कांग्रेस के अन्य प्रमुख नेताओं के साथ सरदार वल्लभ भाई पटेल को  अक्टूबर, 1940 में गिरफ्तार कर लिया और उन्हें जेल भेज दिया. इनकी रिहाई अगस्त, 1941 में हुयी.

एक वर्ष बाद पुनः इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. क्युकि देश में भारत छोड़ो आन्दोलन तेजी पर था और अंग्रेजो के पांव उखड रहे थे तब अगस्त 1942 में अहमदनगर फोर्ट में नेहरु, आजाद व कई अन्य  प्रमुख नेताओं के साथ-साथ  Sardar Patel को भी गिरफ्तार कर लिया गया. प्रमुख नेता होने की वजह से शिमला वार्ता में भाग लेने हेतु जून 1945 को उन्हें रिहा कर दिया गया.
आज़ादी के बाद :
आखिरकार 15 अगस्त, सन् 1947 को  देश को अंग्रेजो से स्वतंत्रता मिल गयी. नेहरू जी स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने सरदार पटेल गृहमंत्री बने. और इन पर सबसे बड़ी जिम्मेदारी सौपी गयी.   देसी राज्यों (रियासतों) का एकीकरण करना.

देसी राज्यों का भारत में विलय :
सरदार पटेल ने यह कार्य आजादी के पूर्व ही प्रारम्भ कर दिया था. पीवी मेनन के साथ मिलकर. और इसी के परिणाम स्वरूप कई देसी राज्यों के राजवाडों को उनकी स्वेच्छा से भारत में मिलाने के सफल रहे लेकिन बस तीन राज्य को समझाने में असफलता प्राप्त हुयी उन्होंने भारत विलय का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया था.
  1. जम्मू एवं कश्मीर,
  2. जूनागढ
  3. हैदराबाद
1 = भारत विलय का प्रस्ताव अस्वीकार करने पर जूनागढ के नवाब के खिलाफ़ बागवत छिड़ गयी जिसके कारण उसे पाकिस्तान भागना पड़ा और इसके बाद जूनागढ भारत में मिल गया.

2 = हैदराबाद को भारत में मिलाने के प्रस्ताव को जब निजाम ने अस्वीकार किया तब Sardar Vallabhbhai Patel ने वह सेना को भेज निजाम का आत्मसमर्पण करा लिया और फिर हैदराबाद भारत में मिल गया.

3 = जम्मू एवं कश्मीर को नेहरू जी ने अन्तराष्ट्रीय समस्या बताते हुए उसे भारत में मिला लिया. और इसी तरह तीनो भी भारत के अंग हो गए.

सरदार वल्लभ भाई पटेल की जीवनी - Sardar Vallabhbhai Patel Biography In Hindi

छह सौ रियासतों का भारत में विलय :
इसी तरह सरदार वल्लभ भाई पटेल जी अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए छह सौ छोटी बड़ी रियासतों का भारत में विलय कराया. भारत में देशी रियासतों का विलय स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी और पहली उपलब्धि थी. और इस उपलब्धि सबसे विशेष योगदान Sardar Patel जी का था. जिन्होंने

लौह पुरुष की उपाधि :
इसी तरह का योगदान जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क ने दिया था. और उन्ही की Vallabhbhai Patel ने भी अपनी सूझ-बुझ से स्वतंत्र भारत को एक विशाल राष्ट्र बनाया.  गाँधी जी पटेल जी की नीतिगत दृढ़ता के लिए उन्हें  'सरदार' और 'लौह पुरुष' की उपाधि दी. जैसे  "जर्मनी का आयरन चांसलर" कहा जाता है. उसी तरह भारत में  Sardar Vallabhbhai Patel "भारत के लौह पुरुष" कहलाते हैं.
आखिरी सफ़र : सरदार पटेल के ह्रदय में शुरू से ही गाँधी जी के लिए अपार श्रद्धा थी. लेकिन जब गाँधी जी हत्या हुयी तब उन्हें बहुत गहरा आघात पंहुचा क्युकि हत्या के कुछ क्षण पहले उनके पास वे अंतिम व्यक्ति के रूप में थे और जो उनसे निजी वार्ता भी की थी. गाँधी जी हत्या की इस हत्या ने उन्हें हिला कर रख दिया गृह मंत्री होने के नाते अपनी ग़लती को मानते हुए कहा की सुरक्षा में मुझसे बहुत बड़ी चुक हुयी हैं.

निधन : हत्या के सदमे से वो बाहर नहीं आ पा रहे थे अन्दर ही अन्दर घुटते जा रहे थे जिस कारण  गाँधीजी की मृत्यु के दो महीने के भीतर ही मुम्बई में 15 दिसम्बर 1950 को उन्हें हार्ट अटैक आ गया और इसी के साथ हम सब से दूर सदा-सदा के लिए चले गए. 

सम्मान और पुरस्कार : मरणोपरान्त  सन 1991 में 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया. अहमदाबाद के हवाई अड्डे का नामकरण 'सरदार वल्लभभाई पटेल अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डा' रखा गया. गुजरात के वल्लभ विद्यानगर में 'सरदार पटेल विश्वविद्यालय' की स्थापना. 

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी : सरदार वल्लभ भाई पटेल की 137वीं जयंती के अवसर पर 31 अक्टूबर 2013 को  गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे नरेन्द्र मोदी ने नर्मदा जिले में सरदार वल्लभ भाई पटेल का विशाल स्मारक का शिलान्यास किया. और इस स्मारक का नाम "एकता की मूर्ति" (स्टैच्यू ऑफ यूनिटी) रखा गया. 

दोस्तों अगर सरदार वल्लभ भाई पटेल की जीवनी - Sardar Vallabhbhai Patel Biography In Hindi के इस लेख को  लिखने में मुझ से कोई त्रुटी हुयी हो तो छमा कीजियेगा और इसके सुधार के लिए हमारा सहयोग कीजियेगा. आशा करता हु कि आप सभी को  यह लेख पसंद आया होगा. 

धन्यवाद आप सभी मित्रों का जो आपने अपना कीमती समय इस Wahh Blog को दिया.


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