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वसीम बरेलवी की 50 शायरी / Famous 50 Shayari By Wasim Barelvi

वसीम बरेलवी की चुनिन्दा 50 शायरी और ग़ज़लों का संग्रह और वसीम बरेलवी का जीवन परिचय

Shayari By Wasim Barelvi की पोस्ट में आपको मिलेगा एक से बढ़ कर एक वसीम बरेलवी जी द्वारा लिखी गयी शायरी का बेतरीन कलेक्शन और उनके जीवन से जुडी ख़ास बाते.

Biography of Waseem Barelvi

ज़ाहिद हसन (वसीम बरेलवी) को आज के समय में इन्हें कौन नहीं जानता ,  हर शेरो शायरी गज़लों  के शौखिन इनकी शायरी के  दीवाने  हैं, इनकी कलम का जादू सब के सर चढ़ कर बोलता हैं. Wasim Barelvi जी के  लिखने का अंदाज़ एसा हैं की सीधा दिल छू जाता  हैं.

ज़ाहिद हसन (वसीम बरेलवी) का जन्म 8  फरवरी 1940  बरेली में हुआ. बरेली इनका ननिहाल हैं और इनका जन्म ननिहाल में हुआ. इनके पिता जी का नाम जनाब शाहिद हसन "नसीम" जो की मुरादाबाद नवाबपुर में ज़मीदार थे. लेकिन वहा के हालात कुछ एसे बिगड़े की उन्हें मुरादाबाद छोड़ कर अपने ससुराल बरेली आना पड़ा और ज़ाहिद हसन (वसीम बरेलवी) का जन्म यही हुआ. और इनकी परवरिश यही हुयी. 

इनके वालिद का ताल्लुक़ात रईस अमरोहवी और जिगर मुरादाबादी से बहुत ही अच्छे थे. जिसके कारण  रईस अमरोहवी और जिगर मुरादाबादी का आना जाना इनके घर पर भी होता था. जिसके कारण वहा शेरो शायरी का माहोल होता था. और इसी कारण ज़ाहिद हसन "वसीम बरेलवी" का बचपन से ही शेरो शायरी की ओर झुकाव रहा, 

1947 में बरेली के हालात कुछ बिगड़ने लगे तो नसीम मुरादाबादी साहब अपने परिवार के साथ रामपुर आ गये. और रामपुर में बरेली से अच्छा माहोल मिला. उस समय   वसीम बरेलवी साहब की उम्र  मात्र  8 से 10 साल  की थी. और इसी उम्र में ही कुछ शेर लिखे और अपने  वालिद साहब को दिखा तब इनके वालिद साहब ने ये शेर जिगर मुरादाबादी साहब को दिखाए तब जिगर मुरादाबादी साहब ने सलाह दी, कहा की बेटे अभी आपकी उम्र शेरो शायरी की नहीं पढ़ने की हैं, पहले पढ लो अभी पूरी उम्र पड़ी  हैं शेरो शायरी के लिए.

और उसके बाद वसीम साहब ने जिगर साहब का कहा माना और अपना पूरा ध्यान पढाई में लगाया और अपनी अकेडमिक तालीम हासिल की और बरेली कालेज से एम्. ऐ उर्दू में गोल्ड मेडल हासिल किया. और उसी कॉलेज में वो उर्दू विभाग के अध्यक्ष भी बने.

साठ के दशक में वसीम साहब बा-कायदा मुशायरों में जाने लगे और वहा अपने लिखे गज़लों को पढ़ने लगे. और उनका शेरो-शायरी के प्रति और अधिक झुकाव होने लगा.   इनका यह शौक़ जूनून बन गया. और वो सबके चहेते बन गए उनकी शायरी के लोग दीवाने से होते गए प्रोफ़ेसर वसीम बरेलवी साहब का कहना था की शे'र लफ़्ज़ से पैदा नहीं होता शे'र एहसास से जन्म लेता है.

आज ये हिंदुस्तान ही नहीं देश विदेशो में भी इनके चाहने वाले हैं इनके कलम की जादूगरी के दीवाने से हैं लोग दिल को छूती इनकी शायरी का जादू आज भी लोगो को अपना दीवाना बनाती हैं.
Famous Shayari By Wasim Barelvi
दोस्तों आईये आज इस आर्टिकल में पढ़ते हैं प्रोफ़ेसर वसीम बरेलवी साहब द्वारा लिखे गए कुछ खास शेर ओ शायरी को जो आज भी लोगो के दिलो में किसी ताजे गुलाब की तरह खुशबु फैलाती हैं.

Famous 50 Shayari By Wasim Barelvi


 1= Kisi Se Koi Bhi Ummid Rakhana Chhod Kar Dekho, To Ye Riste Nibhana KiS Kadar Asaan Ho Jaye  
"किसी से कोई भी उम्मीद रखना छोड़ कर देखो तो ये रिश्ते निभाना किस क़दर आसान हो जाये..."
2= Chhoti-Chhoti Baate Karke Bade Kaha Ho Jaoge,  Patali Galiyon Se Nikalo To Khuli Sadak Par Aajaoge! 
" छोटी-छोटी बातें करके बड़े कहाँ हो जाओगे, पतली गलियों से निकलो तो खुली सड़क पर आओगे..."
 3=  Tumhara Pyaar To Sanson Me Sans Leta Hai,  Jo Hota Nasha To Ek Din Utar Nahi Jata  
"तुम्हारा प्यार तो सांसों में सांस लेता है, जो होता नशा तो इक दिन उतर नहीं जाता..."
 4= Kya Bataun, Kaisa Khud Ko Darbadar Maine Kiya,  Umr-Bhar Kis Kisake Hisse Ka Safar Maine Kiya,  Tu To Nafarat BhI Naa Kar Payega Is Shiddat Ke Sath  Jis Bala Ka Pyaar Tujhase Be-Khabr Maine Kiya  
" क्या बताऊँ ,कैसा ख़ुद को दरबदर मैंने किया, उम्र -भर किस - किसके हिस्से का सफ़र मैंने किया, तू तो नफरत भी न कर पायेगा इस शिद्दत के साथ, जिस बला का प्यार तुझसे बे-ख़बर मैंने किया..."
5= Apani Is Aadat Pe Hi Ek Roz Maare Jayenge,  Koi Dar Khple Naa Khole Ham Pukare Jayenge  
" अपनी इस आदत पे ही इक रोज़ मारे जाएँगे,  कोई दर खोले न खोले हम पुकारे जाएँगे..."
 6=Mohabbat Ke Gharo Ke Kachche-Pan Ko Ye Kahan Samjhe, In Ankhon Ko To Bas Aata Hain Barasate Badi Karana  
"मोहब्बत के घरों के कच्चे-पन को ये कहाँ समझें, इन आँखों को तो बस आता है बरसातें बड़ी करना..."
 7=Teri Nafaraton Ko Pyaar Ki Khushabu Bana Deta, Mere Bas Men Agar Hota Tujhe Urdu Sikha Deta  
"तेरी नफरतों को प्यार की खुशबु बना देता, मेरे बस में अगर होता तुझे उर्दू सीखा देता..."
8=Dhup Ke Ek Hi Mausam Ne Jinhe Tod Diya,  Itane Nazuk Bhi Ye Rishe Naa Banaye Hote  
" धूप के एक ही मौसम ने जिन्हें तोड़ दिया,  इतने नाज़ुक भी ये रिश्ते न बनाये होते..."
9=Kuchh ToKar Aadab-Mahafil Ka Lihaz. Yaar, Ye Pahalu Badalana Chhod De
" कुछ तो कर आदाबे-महफ़िल का लिहाज़. यार, ये पहलू बदलना छोड़ दे..."

10= Khud Ko Manavaane Ka Mujhako Bhi Hunar Aata Hai, Mai Wah Katara Hun Samndar Mere Ghar Aata Hai  
"खुद को मनवाने का मुझको भी हुनर आता है, मैं वह कतरा हूं समंदर मेरे घर आता है...."
 11=Kya Dukh Hai Samndar Ko Bata Bhi Nahi Sakata, Ansu Ki Tarah Ankhn Tak Aa Bhi Nahi Sakata, Tu Chhod Raha Hai To Khata Isame Teri Kya, Har Shaks Mera Sath Nibha BhI Nahi Sakata  
"क्या दुःख है समन्दर को बता भी नहीं सकता, आंसू की तरह आँख तक आ भी नहीं सकता. तू छोड़ रहा है तो ख़ता इसमें तेरी क्या, हर शख्स मेरा साथ निभा भी नहीं सकता..."
इन्हें भी पढ़े:- डॉ॰ बशीर बद्र 
इन्हें भी पढ़े:- राहत इंदोरी 
 12=Yah Soch Kar Koi Ahade-Wafa Karo Hamsae, Ham Ek Wade Pe Umren Guzaar Dete Hai  
"यह सोच कर कोई अहदे-वफ़ा करो हमसे, हम एक वादे पे उम्रें गुज़ार देते हैं..."
 13=Zara Sa Katara Kahi Aaj Agar Ubharata Hai, Samundaron Hi Ke Lahaje Men Baat Karata Hain  
" ज़रा सा क़तरा कहीं आज अगर उभरता है, समुंदरों ही के लहजे में बात करता है..."
 14=Dukh Apna Agar Hmako Batana Nahi Aata, Tum Ko Bhi To Andaaza Lagaana Nahin Aata  
"दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आता, तुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता..."
15=Aasaman Itani Bulandi Pe Jo Itarata Hai, Bhul Jata Hain Zamin Se Hi Nazar Aata Hai  
"आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता है, भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है..."
 16=Naa Pane Se Kisi Ke Hai Naa Khone Se Matalab Hai, Ye Duniya Hai,, Ise To Kuchh Na Kuchh Hone Se Matalab Hai  
"न पाने से किसी के है न कुछ खोने से मतलब है, ये दुनिया है,, इसे तो कुछ न कुछ होने से मतलब है..."
 17=Wo Jhuth Bol Raha Tha Bade Salike Se, Main Etbaar Naa Karata To Aur Kya Karata  
"वो झूट बोल रहा था बड़े सलीक़े से, मैं ए'तिबार न करता तो और क्या करता..."
"वसीम बरेलवी महफ़िल-ए-शायरी"
18=Jhuth Wale Kahi Se Kahi Badh Gaye, Aur Main Tha Ki Sach Bolata Rah Gaya  
"झूठ वाले कहीं से कहीं बढ़ गये, और मैं था कि सच बोलता रह गया..."
19=Raat Ke Tukado Pe Palana Chhod De, Shama Se Kahna Ke Jalana Chhod De  
"रात के टुकड़ों पे पलना छोड़ दे, शमा से कहना के जलना छोड़ दे..."
 20=Dur Se Hi Bas Dariya-Dariya Lagata Hai, Dub Kar Dekho Kitana Pyasa Lagata Hai  
"दूर से ही बस दरिया दरिया लगता है, डूब के देखो कितना प्यासा लगता है..."
 21=Chahe Jitana Bhi Bigad Jaye Zamane Ka Chalan, Jhuth Se Harate Dekha Nahi Sacxhchayi Ko  
"चाहे जितना भी बिगड़ जाए ज़माने का चलन, झूठ से हारते देखा नहीं सच्चाई को..."

Wasim Barelvi Ki Shayari

22=Bahut Se Khwab Dekhoge To Ankhen, Tumahara Sath Dena Chhod Degi  
" बहुत से ख़्वाब देखोगे तो आँखें, तुम्हारा साथ देना छोड़ देंगी..."
23=Musalasal Hadason Se Bas Mujhe Itani Shikayat Hai, Ki Ye Aansu Bahane Ki Bhi Mohalat Nahi Dete  
"मुसलसल हादसों से बस मुझे इतनी शिकायत है, कि ये आँसू बहाने की भी तो मोहलत नहीं देते..."
24=Aapko Dekh Kar Dekhata Rah Gaya, Kya Kahun Aur Kahane Ko Kya Rah Gaya. Aate Aate Mera Naam Sa Rah Gaya, Us Ke Hothon Pe Kuchh Kanpata Rah Gaya. Mere Samane Hi Gaya Aur Main, Raste Ki Tarah Dekhata Rah Gaya. Andhiyon Ke Irade To Achche Na The, Ye Diya Kaise Jalata Hua Rah Gaya  
"आपको देख कर देखता रह गया, क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया. आते-आते मेरा नाम-सा रह गया, उस के होंठों पे कुछ काँपता रह गया. वो मेरे सामने ही गया और मैं, रास्ते की तरह देखता रह गया. आँधियों के इरादे तो अच्छे न थे, ये दिया कैसे जलता हुआ रह गया..."
25=Inhe To Khak Me Milana Hi Tha Ki Mere the, Ye Ashk Kaun Se Unche Gharane Wale The  
" इन्हें तो ख़ाक में मिलना ही था कि मेरे थे, ये अश्क कौन से ऊँचे घराने वाले थे..."
26=Hansi Jab Aaye, Kisi Baat Par Hi Aati Hai, Udas Hone Ka Aksar Sabab Nahin Hota  
"हँसी जब आये, किसी बात पर ही आती है, उदास होने का अक्सर सबब नहीं होता..."
 27=Mere Hotho Pe Apani Pyas Rakh Do Aur Fir Socho? Ki Isake Baad Bhi Duniya Me Kuchh Pana Jaruri Hai  
"मेरे होंठों पे अपनी प्यास रख दो और फिर सोचो? कि इसके बाद भी दुनिया में कुछ पाना ज़रूरी है..."
Famous 50 Shayari By Wasim Barelvi
28=Apane Chaihare Se Jo Zahir Hia Chhupayen Kaise? Teri Marzi  Ke Mutabik Nazar Aaye Kaise?  
"अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे? तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे?..."
29=Gam Aur Hota Sun Ke Gar Aate Na Wo"Vasim" Achcha Hai Mere Haal Ka Unko Khabar Nahin  
"ग़म और होता सुन के गर आते न वो 'वसीम' अच्छा है मेरे हाल की उन को ख़बर नहीं..."
30=Kuchh Hai Ki Jo Ghar De Nahi Pata Hai Kisi Ko, Varna Koi Yese To Safar Me Nahi Rahata  
" कुछ है कि जो घर दे नहीं पाता है किसी को, वर्ना कोई ऐसे तो सफ़र में नहीं रहता..."
 31=Mushkile To Har Safar Ka Husn Hai, Kaise Koi Raah Chalana Chhod De? Tujhase Ummide-Wafa Bekaar Hai. Kaise Ek Mausam Badalana Chhod De? Mai To Ye Himmat Dikha Paya Nahi Tu Hi Mere Sath Chalana Chhod De  
" मुश्किलें तो हर सफ़र का हुस्न हैं, कैसे कोई राह चलना छोड़ दे? तुझसे उम्मीदे- वफ़ा बेकार है, कैसे इक मौसम बदलना छोड़ दे? मैं तो ये हिम्मत दिखा पाया नहीं तू ही मेरे साथ चलना छोड़ दे..."
32=Sham Tak Subah Ki Nazaro Se Utar Jate Hai, Itane Samjauton Par Jeete Hain Ki, Mar Jate Hai  
" शाम तक सुबह की नज़रों से उतर जाते हैं, इतने समझौतों पे जीते हैं कि, मर जाते हैं..."
वसीम बरेलवी महफ़िल-ए-शायरी
 33=Talab Ki Raah Me Paane Se Pahale Khona Padata Hai, Bade Saude Nazar Me Ho To, Chhota Hona Padata Hai  
"तलब की राह में पाने से पहले खोना पड़ता है, बड़े सौदे नज़र में हो तो, छोटा होना पड़ता है..."
इन्हें भी पढ़े:- अहमद फ़राज़ 
इन्हें भी पढ़े:- अकबर इलाहाबादी 
34=Duri Huyi, To Unase Kareeb Aur Ham Huye, Ye Kaise Fasile The, Jo Badhane Se Kam Huye  
"दूरी हुई ,तो उनसे करीब और हम हुए, ये कैसे फ़ासिले थे ,जो बढ़ने से कम हुए..."
35= Tum Aa Gaye Ho To Kuchh Chandani Si Baate Ho, Zamin Pe Chand Kahan Roz Roz Utarata Hai  
"तुम आ गए हो तो कुछ चाँदनी सी बातें हों, ज़मीं पे चाँद कहाँ रोज़ रोज़ उतरता है..."
36=kaun Si Baat Kaha Kaise Kahi Jati Hai, Ye Salika Ho To, Har Baat Suni Jati Hai  
"कौन सी बात कहाँ कैसे कही जाती है, ये सलीक़ा हो तो, हर बात सुनी जाती है..."

वसीम बरेलवी की ग़ज़लें

37=Husn Bazar Hua Kya Ki Hunar Khatm Hua, Aaya Palako Pe To Ansu Ka Safar Khatm Hua, Umr Bhar Tujhase Bichhadane Ki Kasak Hi Naa Gayi, Kaun Kahata Hai Mohabbat Ka Asar Khatm Hua, Nayi Kaloni Me Bachcho Ki Zidd Le To Gayi, Baap Dada Ka Banaya Hua Ghar Khatm Hua,  Ja Hamesha Ko Mujhe Chhod Ke Jane Wale,  Tujhase Har Lamha Bichhadane Ka To Dar Khatm Hua  
"हुस्न बाज़ार हुआ क्या कि हुनर ख़त्म हुआ, आया पलको पे तो आँसू का सफ़र ख़त्म हुआ, उम्र भर तुझसे बिछड़ने की कसक ही न गयी, कौन कहता है की मुहब्बत का असर ख़त्म हुआ, नयी कालोनी में बच्चों की ज़िदे ले तो गईं, बाप दादा का बनाया हुआ घर ख़त्म हुआ. जा, हमेशा को मुझे छोड़ के जाने वाले तुझ से हर लम्हा बिछड़ने का तो डर ख़त्म हुआ..."
38=Sabhi Riste Gulabo Ki Tarah Khushbu Nahi Dete, Kuchh Yese Bhi To Hote Hain Jo Kante Chhod Jate Hain  
"सभी रिश्ते गुलाबों की तरह ख़ुशबू नहीं देते, कुछ ऐसे भी तो होते हैं जो काँटे छोड़ जाते हैं..."

Shayari of Waseem Barelvi 

 39=Tum Meri Taraf Dekhana Chhodo To Batau, Har Shakhs Tumhari Taraf Dekh Raha Hai  
"तुम मेरी तरफ़ देखना छोड़ो तो बताऊँ, हर शख़्स तुम्हारी ही तरफ़ देख रहा है..."
40=Kabhi Lafjo Se Gaddari Naa Karana, Gazal Padhana, Adakari Naa Karana. Mere Bachcho Ke Anshu Pochh Dena,  Lifafe Ka Titat Jaari Na Karana  
" कभी लफ़्ज़ों से गद्दारी न करना, ग़ज़ल पढ़ना ,अदाकारी न करना. मेरे बच्चों के आंसू पोंछ देना लिफ़ाफ़े का टिकट जारी न करना..."
 41=Garib Laharo Pe Pahare Bithaye Jate Hain, Samndaron Ki   
"ग़रीब लहरों पे पहरे बिठाये जाते हैं, समन्दरों की तलाशी कोई नहीं लेता..."

42=Usi Ko Jeene Ka Haq Hai Jo Is Zamane Men, Idhar Ka Lagata Rahe Aur Udhar Ka Ho Jaye  
"उसी को जीने का हक़ है जो इस ज़माने में, इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए..."
43=Tujhe Pane Ki Koshish Me Kuchh Itana Kho Chuka Hun Mai, Ki Tu Mil Bhi Jaye To, Ab Milane Ka Gam Hoga  
"तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना खो चुका हूँ मैं. कि तू मिल भी अगर जाए तो, अब मिलने का ग़म होगा..."
 44=Ghar Me Ek Sham Bhi Jeene Ka Bahana Naa Mile, Serial Khatm Na Ho Jaye To, Khana Na Mile  
" घर में एक शाम भी जीने का बहाना न मिले सीरियल ख़त्म न हो जाए तो, खाना न मिले..."
45=Mujhe Padhata Koi To Kaise Padhata, Mire Chaihare Pe Tum Likkhe Huye The  
" मुझे पढ़ता कोई तो कैसे पढ़ता, मिरे चेहरे पे तुम लिक्खे हुए थे..."
46=Zahan Men Pani Ke Badal Aaye Hote, Maine Mitti Ke Gharaundhe Na Banaye Hote, Dubate Shahar Mitti Ka Makan Girata Hi Tum Ye Sab Soch Ke Meri Tarf Aye Hote, Dhup Ke Shahar Me Ek Umr Na Jalana Ham Bhi Kash Kisi Ped Ke Saye Hote, Fal Padosi Ke Darakhtin Pe Na Pakate "Vasim" Mere Angan Men Patthar Bhi Na Aaye Hote  
"ज़हन में पानी के बादल अगर आये होते, मैंने मिटटी के घरोंदे ना बनाये होते, डूबते शहर मैं मिटटी का मकान गिरता ही  तुम ये सब सोच के मेरी तरफ आये होते, धूप के शहर में इक उम्र ना जलना पड़ता हम भी ए काश किसी पेड के साये होते, फल पडोसी के दरख्तों पे ना पकते तो "वसीम" मेरे आँगन में ये पत्थर भी ना आये होते..."
47=Kahi Suni Pe Etbaar Karane Lage, Mere Hi Log Mujhe Sangasaar Karane Lage. Purane Log Ke Dil Bhi Hain Khushbuon Ki Tarah Jara Kisi Se Mile, Etabaar Karane Lage. Naye Zamane Se Ankhe Nahi Mila Paaye To Log Guzare Zamane Se Pyaar Karane Lage. Koi Ishara Dilasa Na Koi Wada Magar Jab Aayi Sham Tera Intzaar Karane Lage. Hamari Sadamizazazi Ki Daad De Ki Bagair Parakhe Tera Etbaar Karane Lage  
"कही-सुनी पे बहुत एतबार करने लगे, मेरे ही लोग मुझे संगसार करने लगे. पुराने लोगों के दिल भी हैं ख़ुशबुओं की तरह ज़रा किसी से मिले, एतबार करने लगे. नए ज़माने से आँखें नहीं मिला पाये तो लोग गुज़रे ज़माने से प्यार करने लगे.  कोई इशारा, दिलासा न कोई वादा मगर जब आई शाम तेरा इंतज़ार करने लगे. हमारी सादामिजाज़ी की दाद दे कि तुझे बगैर परखे तेरा एतबार करने लगे..."
वसीम बरेलवी महफ़िल-ए-शायरी
 48=Usulon Pe Jahan Anch Aaye To Takarana Jaruri Hain, O Zinda Ho To Fir Zinda Nazar Aana Jaruri Hai.  Nayi Umr Ki Khudmukhtariyo Ko Kaun Samjhaye Kaha Se Bach Ke Chalana Hai Kaha Jana Jaruri Hai. Thake Haare Parinde Jab Thak Ke Lauten  Salikamand Shakho Ka Lachak Jana Karuri Hai. Bahut Bebak Ankhon Me Talluk Tik Nahi Pata Muhabbat Me Kashish Rakhane Ko Sharmana Jaruri Hai, Salika Hi Nahi Shayad Use Mahasus Karane Ka  Jo Kahata Hain Khuda Hai To Nazar Aana Jaruri Hai.  Mere Hontho Par Apani Pyas Rakh Do Aur Fir Socho  Ki Isake Baad Bhi Duniya Me Kuchh Pana Jaruri Hai  
"उसूलों पे जहाँ आँच आये टकराना ज़रूरी है, जो ज़िन्दा हों तो फिर ज़िन्दा नज़र आना ज़रूरी है. नई उम्रों की ख़ुदमुख़्तारियों को कौन समझाये कहाँ से बच के चलना है कहाँ जाना ज़रूरी है. थके हारे परिन्दे जब बसेरे के लिये लौटें  सलीक़ामन्द शाख़ों का लचक जाना ज़रूरी है. बहुत बेबाक आँखों में त'अल्लुक़ टिक नहीं पाता  मुहब्बत में कशिश रखने को शर्माना ज़रूरी है. सलीक़ा ही नहीं शायद उसे महसूस करने का जो कहता है ख़ुदा है तो नज़र आना ज़रूरी है.  मेरे होंठों पे अपनी प्यास रख दो और फिर सोचो  कि इसके बाद भी दुनिया में कुछ पाना ज़रूरी है ..."
49=Tumhari Raah Me Mitti Ke Ghar Nahi Aate, Isiliye To Tumhe Ham Nazar Nahi Aate  
" तुम्हारी राह में मिट्टी के घर नहीं आते, इसीलिए तो तुम्हें हम नज़र नहीं आते..."
 50=Apane Har Ek Lafz Ka Khud Aayina Ho Jaunga, Usako Chhota Kah Ke Main Kaise Bada Ho Jaunga  
"अपने हर इक लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊँगा, उसको छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा..."

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