बेहतरीन आज पर शायरी - Aaj Shayari In Hindi
शुरुआत करते हैं "Aaj Par Shayari" के इस आर्टिकल की जोकि "शब्दों के जाल" से लिया गया हैं. जहा आप पा सकते हैं अपने मन पसंद शब्द आज पर शायरी का विशाल संग्रह.
आज का यह आर्टिकल कांटों शब्द से लिया गया हैं और इस पोस्ट में आप पा सकते हैं ढेरो आज पर शायरियों का बेजोड़ कलेक्शन. जोकि आप सभी शायरी के कद्रदानो को बेहद ही पसंद आएगा.
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आज हमसे वो पूछ रहे है हमारी औकात, जो हमारी रहमतों के कर्जदार आज भी हैं. |
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साल भर भूख छुपाता रहा जो लोगों से, आज वो फ़ख्र से बोलेगा मेरा रोज़ा है. |
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मोहब्बत की बात भले ही करता हो जमाना, मगर प्यार आज भी "माँ "से शुरू होता है. |
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तापमान तो AC और कूलर वालो के लिए बढा है साहब, खेत में किसान और सीमा पर जवान तो आज भी वहीं है. |
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जिन पत्थरों को कभी हमने दी थी धड़कने, आज उनको जुबां मिली तो हम पर बरस पड़े. |
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मेरे खामोश होठो से मोहब्बत गुनगुना रही है, तुम्हे आज रँगना है और बेशुमार रँगना है. |
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जख्म तो आज भी ताजा है बस वो निशान चला गया, मोहब्बत तो आज भी बेपनाह है बस वो इंसान चला गया. |
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अधूरे ख्वाब अधूरी मोहब्बते अधूरी ज़िन्दगी, चल चाँद तू ही खुश हो जा तू तो पूरा है न आज. |
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तुम भी झूमो मस्ती में हम भी झूमे मस्ती में ! शोर है आज बस्ती में झूम रहे है सब मस्ती में. |
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कफ़न न डालो मेरे चेहरे पर मुझे आदत है मुस्कुराने की, आज की रात न दफनाओ मुझे यारो कल उम्मीद है उनके आने की. |
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सोच रहे आज से लिखना बंद करें, कुछ वक़्त वाह! वाह! के लिये भी निकाला जाए. |
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दिल तोडना आज तक नही आ पाया मुझे, प्यार करना माँ से जो सीखा है मैने. |
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वो शख़्स जो आज मोहब्बत के नाम से बौखला गया, किसी जमाने में एक मशहूर आशिक़ हुआ करता था. |
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आज सड़क पर निकले तो तेरी याद आ गई, तूने भी इस सिगनल की तरह रंग बदला था. |
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जो हमें हंसाने के लिए.. खुद घोड़ा बन जाते थे, आज हम उनके जीने का, सहारा भी नहीं बन पाते. |
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आज टूट गया तो बचकर निकलते है, कल आईना था तो रुक-रुक कर देखते थे. |
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ख़ुदा बदल न सका आदमी को आज भी और अब तक आदमी ने सैकड़ों ख़ुदा बदले. |
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आज फिर दिल दिमाग के करीब हो गया आज फिर एक रिश्ता गरीब हो गया. |
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वक़्त मिले तो मेरे घर तक चले आना कभी, तेरी खुश्बू के मोहताज़ मेरे गुलदस्ते आज भी हैं. |
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सहर ख़्वाब में तुम फ़िर आये थे, सरहाने पे फ़िर आज ओस की बून्दें हैं. |
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आज बहुत मेहरबान हो सनम क्या चाहते हो, हमें पाना चाहते हो या किसी को जलाना चाहते हो. |
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मेरे साथ मिल के हँसने वालो, कहाँ हो आज की रोना है मुझे. |
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चेहरे को आज तक भी तेरा इंतज़ार है, हमने गुलाल और को मलने नहीं दिया. |
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आज दिल को ना छेड़ना मेरे, जो बिखर गया तो लाल गुलाल हो जायेगा. |
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होली दीवाली ईद थोड़ी दूर है अभी, चल आज तुझको मनाया जाए. |
बेहतरीन आज पर शायरी - Aaj Shayari In Hindi
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फासले इस कदर आज है रिश्तों में, जैसे कोई क़र्ज़ चुका रहा हो किस्तो में. |
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किसी ने पूछा कभी इश्क हुआ था, हम मुस्कुरा के बोले आज भी है. |
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अब आप बुरा मान सकते हैं, आज होली नहीं हैं.. |
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जगा दिया सुबह तेरी याद-ए-उल्फत ने वरना, आज इतवार था बहुत देर तक सोते हम. |
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आज भी एक सवाल छिपा है दिल के किसी कोने में, कि क्या कमी रह गई थी तेरा होने में. |
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तन्हाई- ए-फ़िराक से घबरा रही हो तुम, तेरे लिए सुकूं भी क़यामत है आज कल. |
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मेरी आँखों के जादू से तु आज भी नहीं है वाकिफ़, ये उसे भी जीना सिखा देती हैं, जिसे मरने का शौक़ हो. |
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आज सोचा तो नजरिया कुछ कुछ समझ आया, बना लिये थे मजबूत रिश्ते कुछ कमजोर लोगो से. |
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हाल पूछा न खैरियत पूछी, आज भी उसने मेरी हैसियत पूछी. |
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मुकम्मल हो ही गयी आखिर, आज ज़िन्दगी की ग़ज़ल, मेरे महबूब ने भी उसको पढ़कर, वाह-वाह बोला है. |
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आज के दौर में उम्मीद वफ़ा कैसे रखें, धूप में बैठा है खुद पेड़ लगाने वाला. |
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मजहबी इबारतें आती नहीँ मुझको, आज भी इंसानीयत ही मेरा खुदा हुआ है. |
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उनके हौंसले का मुकाबला ही नहीं है कोई, जिनकी कुर्बानी का कर्ज हम पर उधार है. आज हम इसीलिए खुशहाल हैं क्यूंकि, सीमा पे जवान बलिदान को तैयार है. |
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एक ख्वाईश ने फिर आज दम तोड़ दिया, पुख्ता सबूत हैं ये मेरे आँसू. |
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कहते हैं हो जाता है संगत का असर पर... काँटों को आज तक नहीं आया महकने का सलीका. |
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छल में बेशक बल है, माफ़ी आज भी हल है. |
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कुछ ख़त आज फिर डाकघर से लौट आये, डाकिया बोला जज्बातों का कोई पता नहीं होता. |
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आज दिल कर रहा है कि बचों कि तरह रुठ ही जाऊं, फिर सोचा उम्र का तकाजा है मनायेगा कौन ? |
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अब बयाँ करने की आदत नहीं रही, वरना मुझे शिकायतें आज भी है तुमसे. |
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आज का दिन उनके नाम, जो क़िस्मत से मिलते है, क़ीमत से नहीं. |
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कहते हैं के हो जाता है संगत का असर, पर काँटों को आज तक नहीं आया, महकने का सलीका. |
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आज जिस्म मे जान है तो देखते नही हैं लोग, जब रूह निकल जाएगी तो कफन हटा-हटा कर देखेंगे लोग. |
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इश्क चख लिया था इत्तफ़ाक से, ज़बान पर आज भी दर्द के छाले हैं. |
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एक बात मुझे आज तक समझ नहीं आयी जो, गरीबों के लिये लड़ते हैं वो लड़ते लड़ते अमीर कैसे हो जाते हैं. |