जानवरों पर बनी कुछ मज़ेदार कहावतें जिन्होंने अपना दबदबा आज भी कायम किया हुआ है.
कहावते जो हम अक्सर बातो बातो में कहते रहते है, एक दुसरे को और कहावते हमारे दैनिक बात चित करने का एक अहम हिस्सा हैं. हिंदी कहावतो का प्रयोग हर जगह होता. और लोग से बड़ी से बड़ी बात को भी कहावतो के माध्यम से बोल देते है सामने वालो को . वैसे तो ये कहावतें बहुत छोटी होतीं हैं, लेकिन इनका मतलब बहुत ही गहरा और सटीक होता है.
तो आज इस आर्टिकल में आप को ऐसे कहावतो को बताएँगे जो जानवरों पर बनी हैं है और उसका प्रयोग इंसानों पर किया जाता हैं तो देर कैसी आईये पढ़ते हैं उन कहावतो को..
1 | काला अक्षर भैंस बराबर. |
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जिसकी लाठी उसकी भैंस. |
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गई भैस पानी में. |
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भैंस के आगे बीन बाजे, भैंस बैठ पगुराय. |
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भैस पूछ उठाएगी तो गाना नहीं गाएगी गोबर करेगी. |
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दुधेल गाय की लात भली’ लगती है. |
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1 | अपने घर (गली) में कुत्ता भी शेर हो जाता है। |
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धोबी का कुत्ता घर का न घाट का. |
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बासी बचे न कुत्ता खाय. |
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कुत्ते को घी नहीं पचता. |
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घर जवांई कुत्ते बराबर. |
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भोकने वाले कुत्ते कभी कटते नहीं. |
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कुत्ते को हड्डी प्यारी. |
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किस्मत ख़राब हो तो कुत्ता भी मुह चाटता हैं. |
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तुम से अच्छा तो कुत्ता वफादार निकला. |
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कुत्ते की दुम कभी सीधी नहीं होती. |
एक दिन कुत्तो के भी आते हैं. |
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बसंती इन कुत्तो के सामने मत नाचना. |
गधों पर बनी कहावत और डायलॉग जो हम अक्सर बोलते हैं .. |
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गधो से जुडी कहावते, भले ही गधो कप मुर्ख प्राणी समझा जाता हैं. पर हकीक़त ये हैं वे आलसी नहीं होते और मेहनती होते। बस उन्हें जिस कार्य में लगा दिया जाता हैं उसी को करते है. गाडो से हमेशा मेहनती और बोझ से भरा कार्य ही दिया जाता हैं. तो आईये पढ़ते हैं गधो पर लिखी कहावतें और डायलॉग Wahh.in के साथ वाह .......
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ये गायब हो गए जैसे गधे के सर से सींग |
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जब वक्त पडे बांका तो लोग गधे से कहे काका. |
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जब वक्त पडे बांका तो लोग गधे से कहे काका. |
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अच्छे अच्छे गधों को इंसान बना दिया तुम क्या चीज़ हो. |
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बेचारा गधे की तरह खटता हैं दिन रात. |
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ज़िन्दगी भर गधे ही रहोंगे इंसान नहीं बन सकते. | |
गाड़ी के अगाड़ी गधे के पिछाड़ी कभी खड़े ना हो. |
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यहाँ गधे पेशाब करते हैं. |
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घोड़ो पर बनी कहावत और डायलॉग जो हम अक्सर बोलते है. |
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इस कालम में हम पढ़ते हैं घोड़ो पर आधारित कहावतें और डायलॉग जिसे हम अपनी बातो में अक्सर बोल जाते हैं. वैसे बता दे घोड़ो की रफ़्तार का दीवाना ज़माना हैं वो चाहे किसी बग्घी में लगा हो या रेस के मैदान में हो उसकी रफ़्तार पर ज़माना फ़िदा हैं। किसी समय घोड़ो पर ही राजा महाराजा सवारी करते थे । युद्ध के मैदान पर भी इनकी रफ़्तार चलती थी । |
घोडा घास से यारी करे तो खायेगा क्या. |
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बूढी घोडी लाल लगाम. |
शेर बूढा होने पर भी पंजा मारना नहीं भूलता. |
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शेर कभी घास नहीं खाता. |
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शेर पर सवा सेर. |
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शेर झुण्ड में नहीं अकेले चलता हैं. |
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शेर कभी बुढा नहीं होता. |
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शेर का बच्चा शेर ही रहेगा गीदड़ नहीं बनेगा. |
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शेर का कलेजा हैं किसी गीदड़ का नहीं. |
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शेर की दहाड़ से अच्छो अच्छो के पैजामे गीले हो जाते हैं. |
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जीओ मेरे मिटटी के शेर. |
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नौसो चूहे खाकर बिल्ली चली हज को. |
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बिल्ली खायगी नहीं तो लुढकाय देगी’ जरूर. |
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बिल्ली के भाग्य से छिके नहीं टूटते. |
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बिल्ली के गले घंटी कौन बांधे ? |
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बिल्ली कहीं भी चली जाए, वो वहां चूहे ही पकड़ेगी. |
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छाती पर साँप लोटना. |
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साँप मरे न लाठी टूटे. |
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साँप निकल गया लकीर पीटे क्या होय. |
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बिच्छु का मंतर न जाने, साँप के बिल में हाथ डाले. |
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साँप का काटा पानी भी नहीं मांगता. |
अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे. |
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ऊंट के मुंह में जीरा. |
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ऊँट किस करवट बैठे. |
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हांथी के दांत - देखने के कुछ और खाने के कुछ. |
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हाथी कभी नहीं रुकता भले ही कुत्ते भोकते रहे. |
अपने मुँह मिया मिट्ठु’ बनना.
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चिडिया की जान गई, लडकों का खेल’ हुआ. |
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उडती चिडिया के पर गिनना. |
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जंगल में मोर नाचा किसने देखा? |
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अंधे के हाथ बटेर लगना. |
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फिर पछताये होत क्या, जब चिडिया चुग गई खेत. |
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काठ का उल्लू. |
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बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद. |
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बंदर कितना भी बुढा हो जाए गुलाटी मारना नहीं भूलता. |
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बंदर घुड़की. |
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कुए की मेंढकी. |
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बाप ने मारी मेंढकी, बेटा तीरंदाज. | |
गिरगिट से रंग बदलना. |
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छछुन्दर के सिर में चमेली का तेल. |
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गीदड़ भबकी. |
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गीदड की मौत आती है तो शहर की ओर जाता है. |
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बकरे की माँ कब तक खैर मनावेगी. |
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घर की मुर्गी दाल बराबर. |
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सोने का अंडा देनी वाली मुर्गी को हलाला नहीं जाता. |
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खोदा पहाड निकली चुहिया. |
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एक मछली सारे तालाब को गंदला कर देती है. |
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नाक पे मक्खी न बैठने देते. |
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कान पर जूँ तक न रेंगे. |
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जूँ के डर से गुदडी नहीं छोडी जाती. |
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