यूनान के महान विचारक अरस्तु के 90 अनमोल वचन और विचार
यूनान के महान विचारक एवं दार्शनिक अरस्तु (Arastu) का जन्म 384 ई.पू. – 322 ई.पू. स्तैगीरस की ग्रीक कॉलोनी में हुआ था. अरस्तु के पिता मकदूनिया राजा के यहाँ वो शाही वैद्य के रूप में थे. लेकिन अरस्तु का साथ पिता के साथ ज्यादा समय तक नहीं रहा क्युकी अरस्तु के बचपन में ही पिता की मृत्यु हो गयी.जब अरस्तु की आयु 17 वर्ष की हुयी तब उनके परिवार वालो ने उन्हें आगे की शिक्षा प्राप्त करने के लिए बौद्धिक शिक्षा केंद्र एथेंस भेज दिया. और वहा अपनी शिक्षा जारी की और 20 वर्षो तक प्लेटो से शिक्षा ग्रहण की और फिर अपने शिक्षा के अंतिम वर्षो में खुद ही उसी अकादमी में शिक्षक के रूप में पढाने लगे...
अरस्तु की बुद्धि का लोहा उस समय के सभी लोग मानते थे यहाँ तक की उनके शिक्षक प्लेटो भी उनकी सोच उनकी हर विषयों पर गहरी जानकारी और बुद्धिमानी की प्रशंसा करते थकते नहीं थे. जब 347 ईस्वी पूर्व में प्लेटो के निधन हुआ तब अरस्तु ही उस अकादमी के नेतृत्व के अधिकारी थे..
विवाह :-
अरस्तु को एत्रानियस के मित्र शाषक ह्र्मियाज का एक निमत्रण आया, और वो उस प्रस्ताव के के कारण उनके दरबार में चले गये. और वह यही तीन वर्षो तक रहे.. और उसके बाद अरस्तु ने राजा की भतीजी ह्र्पिलिस से विवाह कर लिया..
बताते चले की यह शादी दूसरी थी इससे पहले उन्होंने एक और शादी की थी. पिथियस नामक महिला से पर उनकी मौत हो गई उसी के बाद यह दूसरी शादी की .....
दोस्तों आईये जानते हैं यूनान के महान विचारक एवं दार्शनिक अरस्तु (Arastu) की कुछ खास बाते झलकियों में
- 1 = जन्म 384 ई.पू. – 322 ई.पू. स्तैगीरस की ग्रीक कॉलोनी में हुआ था.
- 2 = इनके पिता मकदूनिया राजा के यहाँ वो शाही वैद्य के रूप में थे
- 3 = अपनी शिक्षा बौद्धिक शिक्षा केंद्र एथेंस से प्राप्त की और शिक्षक के रूप में उन्हें पढाया प्लेटो ने
- 4 = शिक्षा के अंतिम वर्षो में खुद ही उसी अकादमी में शिक्षक के रूप में पढाने लगे.
- 5 = अरस्तु कई विषयों के ज्ञाता थे, जिसमे मुख्यरूप से राजनीति, नितिशास्त्र, धर्मशास्त्र , अर्थशास्त्र , आचारशास्त्र , मनोविज्ञान , जन्तुशास्त्र , शरीर-विज्ञान, तर्कशास्त्र आदि विषयों पर उन्हें गहरा ज्ञान था.
- 6 = वह कभी परम्पराओं पर भरोसा न करके उसके तथ्य की गहरी जाँच करते थे और उसके बाद ही किसी और नतीजे पर पहुचते थे
- 7 = इससे यह ज्ञात होता हैं वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे..
- 8 = उनकी रचित आध्यात्मिक रचनाएं आज भी क्रिस्चियन सभ्यता को प्रभावित कर रही है..
- 9 = अरस्तु के पिता और पुत्र का नाम एक ही था.
दोस्तों आईये पढ़ते हैं जीवन को सफल बनाने के लिए अरस्तु द्वारा कहे गए अनमोल विचारो को इस आर्टिकल में
1= अपने दुश्मनों पर विजय पाने वाले की तुलना में
मैं उसे शूरवीर मानता हूं जिसने अपनी इच्छाओं पर विजय प्राप्त कर ली है..
क्योंकि सबसे कठिन विजय अपने आप पर विजय होती है..
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Apne Dushmano Par Vijaypane Vale Ke Tulna Me . Me Use Sukhir Manta Hun Jisne Apni Ichchao Par Vijay Prapt Kar Li Hai.. Kyuki Sabse Kathin Vijay Apne Aap Par Vijay Hoti Hai.. |
2= कोई भी क्रोधित हो सकता है यह आसान है,
लेकिन सही व्यक्ति से सही सीमा में सही समय पर
और सही उद्देश्य के साथ सही तरीके से क्रोधित होना सभी के बस कि बात नहीं है
और यह आसान नहीं है...
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Koi Bhi Krodhit Ho Sakta Hai Yah Aasan Hai, Lakin Sahi Vykit Se Sahi Seema Me Sahi Samy Par, Aur Sahi Uddesya Ke Sath Sahi Tarike Se Krodhit Hona Sabhi Ke Bas Ke Bat Nhi, Aur Yah Aasan Nahi.... |
3= सभी आदमियों की प्रकृति ज्ञान चाहने वाली होती है.. |
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Sabhi Aadmiyon Ki Prakrit Gyan Chahne Vali Hoti Hai.. |
4=वो जो बच्चों को शिक्षित करते हो वो, उन्हें पैदा करने वालो से ज्यादा सम्मानीय है
क्योकि वो उन्हें केवल ज़िन्दगी देते है
जबकि वो उन्हें...
सही तरीके से ज़िन्दगी जीने की कला सीखाते है...
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Wo Jo Bacchon Ko Shikshit Karte Ho Vo, Unhe Peda Karne Valo Se Jayda Sammney Hai, Kyuki Vo Unhe Keval Jindgi Dete Hai, Jabki Vo Unhe... Sahi Trike Se Jindgi Jine Ki Kala Shikhte Hai... |
5= नौकरी में ख़ुशी, काम में निखार लाती है.. |
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Naukari Me Khushi Kam me Nikhar Lati Hai... |
6= हम बहादुर कार्यों के द्वारा ही बहादुर बन सकते है.. |
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Hum Bhadur karyo Ke Dvara Hi Bhadur Ban Sakte Hai..... |
7= चरित्र को हम अपनी, बात मनवाने का सबसे प्रभावी माध्यम कह सकते हैं.. |
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Chritra Ko Hum Apni, Bat Manvane Ka Sabse Prabavi Madhyam Kah Sakte Hai.. |
8= एक दोस्त क्या है?
दो शरीर में रहने वाली एक आत्मा..
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Ek Dost Kya Hai Do Shrir Mr Rahne Vali Ek Aatma.. |
9= अच्छा लिखने के लिए खुद को, एक आम इंसान की तरह व्यक्त करो,
लेकिन सोचो एक बुद्धिमान आदमी की तरह...
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Accha Likhne Ke Liye Khud Ko, Ek Aam Inshan Ki Trah Vykt Karo, Lakin Socho Ek Budhiman Aadmi Ki Trah.. |
10= मनुष्य के सभी कार्य इन सातों में से किसी एक या अधिक वजहों से होते हैं,
1- मौका,
2- प्रकृति,
3- मजबूरी,
4- आदत,
5- कारण,
6- जुनून,
7- इच्छा....
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Manusya Ke Sabhi Karya In Saton Me Se Kisi Ek Ya Adhik Vajhon Se Hote Hai.... 1- Mauka, 2- Prakrti, 3- Majburi, 4- Aadat, 5- Karan, 6- Junun, 7- Ichcha.. |
11= चरित्र को अनुनय का सबसे अधिक कारगर साधन कह सकते है.. |
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Chritra ko Anunay Ka Sabse Adhik Kargar Sadhan Kha Sakte Hai.... |
12= मनुष्य अपनी सबसे अच्छे रूप में सभी जीवों में सबसे उदार होता है,
लेकिन यदि कानून और न्याय न हो तो वो सबसे खराब बन जाता है..
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Manusya Apni sabse Acche Rup Me Sabhi Jivon me Sabse Udhar Hota Hai, Lakin Yadi Kanun Aur Nayay Na Ho To Sabse Kharab Ban Jata Hai... |
13= हमें साहसी होना चाहिए.. |
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Hme Sahsi Hona Chahiye... |
14=आदमी एक लक्ष्यों की मांग करने वाला प्राणी है
उसकी ज़िन्दगी का तभी अर्थ है
जब वो अपने लक्ष्यों के लिए प्रयास करता रहे,
और उन्हें प्राप्त करता रहे...
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Aadmi Ek Lakshyon Ki Mang Karne Vala Prani Hai, Uski Jindgi Ka Tabhi Arth Hai, Jab Vo Apne Lakshyon Ke Liye Pryas karta Rahe, Aur Unhe Prapt Karta Rahe... |
15=अच्छा व्यवहार सभी गुणों का सार है.. |
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Accha Vyvhar Sabhi Guno Ka Sar Hai.... |
16= बुद्धिमान आदमी बोलता है, क्योंकि उसके पास ज्ञान का भण्डार हैं.. |
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Budhiman Aadmi Bolta Hai, Kyuki Uske Pas Gyan Ka Bhandaar Hain... |
17= दोस्तों के बिना कोई नहीं जीना चाहता है,
भले से उसके पास अन्य सभी चीज़े हो...
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Doston Ke Bina Koi Nahi Jina Cahta Hai, Bhle Se Uske Pas Anya Sabhi Chije Ho.. |
Thoughts of Aristotle
18= क्रोध एक उपहार है.. |
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Krodh Ek Uphar Hai.... |
19= लोकतंत्र तब है, जब किसी अमीर की जगह कोई गरीब देश का शासक हो.. |
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Locktntra Tab Hai, Jab Kise Ameer Ki Jagha Koi Garib desh Ka Shasak Ho.. |
20= अगर औरते नहीं होती तो,
इस दुनिया की सारी दौलत बेमानी होती.
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Agar Aurate Nahi Hoti To, Es Duniya Ki Sari Daulat Bemani Hoti... |
21= अच्छी शुरुआत से आधा काम हो जाता है.. |
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Acchi Shuruaat Se Aadha Kam Ho Jata Hai... |
22= सीखना कोई बच्चों का खेल नहीं है,
हम बिना दर्द के नहीं सीख सकते है..
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Shikna Koi Bacchon Ka Khel Nahi Hai, Hum Bina Dard Ke Nahi Shik Sakte Hai.. |
23=मन की ऊर्जा ही जीवन का सार है.. |
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Man Ki Urja Hi Jivan Ka Sar Hai.... |
24= धैर्य कड़वा है पर इसका फल मीठा है.. |
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Deyra Kadva Hai Par Eska Fal Mitha Hai.... |
25= सम्पूर्ण अपने हिस्सों के कुल जोड़ से ज्यादा है.. |
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Sampurn Apne Hisson Ke Kul Jod Se Jayda Hai. |
26= शिक्षा बुढ़ापे के लिए सबसे अच्छा प्रावधान है.. |
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Sicha Budape Ke Liye Sabse Accha Pravdhan Hai..... |
27= जो एक अच्छा अनुयायी नहीं बन सकता
वो एक अच्छा लीडर भी नहीं बन सकता...
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Jo Ek Accha Anuyaye Nahi Ban Sakta , Wo Ek Accha Ledar Bhi Nahi Ban Sakta. |
28= आलोचना से बचने का एक ही तरीका है,
कुछ मत करो,
कुछ मत कहो
और कुछ मत बनों...
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Alochna Se Bachne Ka Ek Hi Tarika Hai, Kuch mat karo, Kuch Mat Kaho, Aur Kuch Mat Bano.... |
29= दोस्त बनना एक जल्दी का काम है
लेकिन दोस्ती एक धीमी गति से पकने वाला फल है..
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Dost Banna Ek Jaldi Ka Kam Hai, Lakin Dosti Ek Dhimi Gati Se Pakne Vala Fal Hai... |
30= प्रकृति बेकार में कुछ नहीं करती है.. |
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Prkrti Bekar Me Kuch Nahi Karti Hai... |
31= एक मात्र स्थिर अवस्था वो है
जिसमे सभी इंसान कानून के समक्ष बराबर है..
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Ek Matra Sthir Avstha Vo Hai. Jisme Sabhi Inshan Kanun Ke Samksh Brabar Hai... |
32= जो अपने डर को जीत लेता है, वो सही अर्थों में मुक्त होता है.. |
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Jo Apne Dar Ko Jet Leta Hai, Vo Sahi Artho Me Mukt Hota Hai.. |
33= मनुष्य प्राकृतिक रूप से ज्ञान कि इच्छा रखता है.. |
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Manusya Prakrtik Rup Se Gyan Ki Ichcha Rakhta Hai... |
34= एक निश्चित बिंदु के बाद,
पैसे का कोई अर्थ नहीं रह जाता.
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Ek Nischit Bindu Ke Bad , Paise Ka Koi Arth Nahi Rah Jata |
35= शिक्षित मन की यह पहचान है की
वो किसी भी विचार को स्वीकार किए बिना उसके साथ सहज रहे..
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Shikshit Man Ki Yah Pahchan Hai Ki, Wo Kise Bhi Vichar Ko Svikar Kiye Bina Uske Sath Shaj Rahe.. |
हमारे दिमाग का अवशोषण और अवमूल्यन कर देती है..
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Paison Ke Liye Ki Jane Vali Sabhi Nokariyan, Humare Dimag Ka Avshosan Aur Avmulyan Kar Dete Hai... |
37= जो सभी का मित्र होता है वो किसी का मित्र नहीं होता है.. |
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Jo Sabhi Ka Mitra Hota Hai Vo Kisi Ka Mitra Nahi Hota Hai.. |
38= आशा जागते हुए देखा गया स्वप्न है... |
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Asha Jagte Hue Dekha Gaya Svapn Hai... |
39= कोई भी उस व्यक्ति से प्रेम नहीं करता
जिससे वो डरता है..
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Koi Bhi Us Vykit Se Prem Nahi Karta Jisse Vo Darta Hai... |
40= ख़ुशी ही जीवन का उद्देशय और अर्थ है.. |
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Khusi Hi Jivan Ka Uddesya Aur Arth Hai.... |
41= बुरे व्यक्ति पश्चाताप से भरे होते हैं.. |
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Bure Vykit paschatap Se Bhre Hote Hai.. |
42= किसी मनुष्य का स्वभाव ही उसे विश्वसनीय बनाता है,
न कि उसकी सम्पत्ति..
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Kisi Manisya Ka Svabhav Hi Use Visvsniya Banata Hai, Na Ki Uski Sampatti..... |
43= शिक्षा की जड़ें कड़वी होती है लेकिन फल मीठे होते है.. |
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Sichas Ki Jden Kadvi Hoti Hai Laki Fal Methe Hote Hai.. |
44= बिना पागलपन के स्पर्श के
किसी भी महान दिमाग का अस्तित्व नहीं होता है..
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Bina Pagalpan Ke Sparsh Ke , Kisi Bhi Mahan Dimag Ka Astitva Nahi Hota Hai.. |
45= बुद्धिमान आदमी बोलता है, क्योंकि उसके पास कहने के लिए कुछ होता है
जबकि मुर्ख आदमी बोलता है क्योंकि उसे कुछ कहना होता है...
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Budhiman Aadmi Bolta Hai. Kyuki Uske Pas Kahne Ke Liye Kuch Hota Hai, Jabki Murkh Aadmi Bolta Hai, Kyuki Use Kuch Kahna Hota Hai.... |
46= शिक्षित और अशिक्षित में उतना ही फर्क है,
जितना की ज़िन्दगी और मौत में..
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Shikshit Aur Ashikshit Me Utna Hi Fark Hai, Jitna ki Jindgi Aur Maut Me.. |
47= न तो हमें कायर होना चाहिए
न ही अविवेकी बल्कि हमें साहसी होना चाहिए..
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Na To Hme Kayar Hona Chahiye, na Hi Aviveki Balki Hme Sahsi Hona Chahiye.. |
48= युवा आसानी से धोखा खाते है
क्योंकि वो शीघ्रता से उम्मीद लगाते है..
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Yuwa Aasani Se Dhoka Khate Hai, Kyuki Vo Shigrta Se Ummid Lagate Hai.. |
49= मित्र का सम्मान करो, पीठ पीछे उसकी प्रशंसा करो,
और आवश्यकता पड़ने पर उसकी सहायता करो..
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Mitra Ka Samman Karo Pith Piche Uski Pransha Karo, Aur Aavashyakta Padne par Uski Shayta Karo.... |
50= प्रसन्नता स्वयं हमारे ऊपर निर्भर करती है.. |
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Prasannta Svam Hmare Upar Nirbhar Karti Hai.. |
51= सभी लोगों में सही का अनुसरण करने का साहस होना चाहिए
न की जो स्थापित है उसका..
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Sabhi Logon Me Sahi Ka Anusran Karne ka Sahas Hona Chahiye, Na Ki Jo Sthapit Hai Uska..... |
52= हम वो है जो हम बार बार करते है,
उत्कृष्टता कोई तरीका नहीं बल्कि आदत है..
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Hum Wo Hai Jo Hum Bar Bar Karte Hai, Utkrstta Koi Tarika Nah Balki Aadat Hai... |
53= अपने आप को जानना ही ज्ञान की शुरुआत है.. |
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Apne Aap Ko Janna Hi Gyan Ki Suruat Hai.. |
54= दोस्तों के बिना कोई भी जीना नहीं चाहेगा,
चाहे उसके पास बाकि सब कुछ हो..
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Doston Ke Bina Koi Bhi Jena Nahi Chahega, Chahe Uske Pas Baki Sab Kuch Ho.... |
55= संकोच युवाओं के लिए एक आभूषण है,
लेकिन बड़ी उम्र के लोगों के लिए धिक्कार...
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Sankoch Yuwaon Ke Liye Ek Abhusan Hai, Lakin Badi Umra ke Logo Ke Liye Dhikkar.... |
56= हमारे जीवन के अत्यधिक अंधकार के वक़्त
हमें अपना ध्यान रोशनी देखने पर केंद्रित करना चाहिए...
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Humare Jivan Ke Atyadhik Andhkar Ke Vakt, Hume Apna Dhyan Roshni Dekhne Par Kendrit Karna Chahiye.. |
57= दुर्भाग्य से उन लोगों का पता चलता है
जो वास्तव में आपके मित्र नहीं है..
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Durbhagya Se Un Logo Ka Pata Chalta Hai, Jo Vastava Me Aapke Mitra Nahi Hai.. |
58= डर बुराई की अपेक्षा से उत्पन्न होने वाला दर्द है.. |
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Dar Burae Ki Apeksha Se Utpann Hone Vala Dard Hai.. |
59= खुशियाँ हम पर निर्भर करती है.. |
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Khusiyan Hum par Nirbhar Karti Hai... |
60= हम बिना दर्द के नहीं सीख सकते है.. |
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Hum Bina Dard Ke Nahi Shik Sakte Hai... |
71= मनुष्य स्वभाव से एक राजनीतिक जानवर है.. |
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Manusya Svabhav Se Ek Rajnitik janvar Hai. |
72= युद्ध जितना पर्याप्त नहीं है,
शांति कायम करना ज्यादा महत्त्वपूर्ण है...
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Yudh Jitna Paryapt Nahi Hai. Shanti Kayam Karna Jayda Mahtvapurn Hai |
73= एक दोस्त आपकी दूसरी आत्मा है.. |
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Ek Dost Aapki Dusri Aatma Hai... |
74= महान आदमी हमेशा उदास प्रकर्ति के होते है.. |
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Mahan Aadmi Hmesha Udas Prkrti Ke Hote Hai.. |
75= हम युद्ध करते है ताकि हम शांति में रह सके.. |
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Hum Yudh Karte Hai Taki Hum Shanti Me Rah Sake.. |
76= साहस सभी मानवीय गुणों में प्रथम है
क्योंकि यह वो गुण है जो आप में अन्य गुणों को विकसित करता है..
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Sahas Sabhi Manviy Guno Me Prathm Hai, Kyuki Yah Vo Gun hai, Jo Aap Me Anya Guno Ko Viksit Karta Hai.. |
77= अनुशासन से स्वतंत्रता आती है.. |
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Anushasan Se Svatantrta Aati Hai.. |
78= जितना ज्यादा आप जानोगे,
उतना ज्यादा आप यह जानोगे की आप कुछ भी नहीं जानते..
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Jitna Jayda Aap Janoge, Utna Jayda Aap Yah Janoge Ki Aap Kuch Bhi Nahi Jante.. |
78= वो जो एकांत में खुश रहता है,
या तो एक जानवर होता है या फिर भगवान...
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Vo Jo Ekant Me Khush Rahta Hai, Ya To Ek Janvar Hota Hai Ya Fir Bhagwan.. |
80= गरीबी क्रांति और अपराध की जनक है.. |
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Garibi Kranti Aur Apradh Ki Janak Hai.. |
81= ख़ुशी आत्म निर्भरता से सम्बंधित होती है.. |
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Khushi Aatm Nirbhrta Se Sambandhit Hota Hai.. |
82= आत्मा कभी भी मानसिक चित्र के बिना नहीं सोचती है.. |
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Atma Kabhi Bhi Manshik Chitra Ke Bina Nahi Sochti Hai.. |
83= संकोच युवाओं के लिए एक आभूषण है, |
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Sankoch Yuwaon Ke Liye Ek Abhusan Hai, |
84= बुद्धिमान का उद्देश्य ख़ुशी को सुरक्षित रखना नहीं होता है
बल्कि दुःख को दूर रखना होता है..
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Budhiman Ka Uddesh Khushi Ko Surkshit Rakhna Nahi Hota Hai, Balki Dukh Ko Dur Rakhna Hota Hai |
85= बिना दिल को शिक्षित किए दिमाग को शिक्षित करना,
वास्तव में शिक्षा नहीं है...
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Bina Dil Ko Shikshit Kiye Dimag Ko Shikshit Karna, Vastava Me Shiksha Nahi Hai.. |
86= अगर औरते नहीं होती तो,
इस दुनिया की सारी दौलत बेकार होती.
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Agar Aurate Nahi Hoti To, Is Duniya Ki Sari Daulat Bekaar Hoti |
87= दोस्तों के बिना कोई भी जीना नहीं चाहेगा.. |
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Doston Ke Bina Koi Bhi Jena Nahi Chahega, |
88= मित्र का सम्मान करो, पीठ पीछे उसकी प्रशंसा करो.. |
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Mitra Ka Samman Karo Pith Piche Uski Pransha Karo.. |
89= सीखना कोई बच्चों का खेल नहीं है,
हम बिना कठनाई यों के नहीं सीख सकते है..
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Shikna Koi Bacchon Ka Khel Nahi Hai, Hum Bina Kathanayiyon Ke Nahi Shik Sakte Hai .. |
90= वो जो बच्चों को शिक्षित करते हो,
वो उन्हें पैदा करने वालो से ज्यादा सम्मानीय है
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Wo Jo Bacchon Ko Shikshit Karte Ho, Vo Unhe Peda Karne Valo Se Jayda Sammney Hai... |
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