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गुरु नानक देव के 20 अनमोल उपदेश हिंदी में

सिखों के प्रथम श्री गुरू नानक देव जी की वाणी

गुरू नानक देव या नानक देव सिखों के प्रथम गुरू थे। गुरु नानक देवजी का प्रकाश (जन्म)  पाकिस्तान के लाहौर जिले से 30 मील दक्षिण-पश्चिम में स्थित रायभोय  ‘तलवंडी’ नामक स्थान पर  15 अप्रैल 1469 ई. को हुआ  गुरू नानक देव  जी के पिता श्री का नाम बाबा कालूचंद्र बेदी और माता जी का नाम त्रिपाता और इन्होने  बालक रूपी गुरू नानक देव जी का नाम नानक रखा।
Shree-Guru-Nanak-Dev-jee-20-Quotes

गुरू नानक देव जी के जन्म के समय प्रसूति गृह पूरी तरह से  अलौकिक ज्योत से जगमगा ने लगा था,  उनके  मस्तक के आसपास तेज आभा फैली हुई थी, चेहरे पर अद्भुत शांति दिखाई दे रही थी। जब इस बात की जानकारी गाँव के प्रसिद्ध पुजारी पुरोहित पंडित हरदयाल जी को हुयी तो और दौड़े वहा आये और उन्हें थोडा भी समय नहीं लगा ये समझने में की ये सब इश्वर की लीला हैं और इस बालक में इश्वर का रूप हैं.


  • जीती नौखंड मेदनी सतिनाम दा चक्र चलाया, भया आनंद जगत बिच कल तारण गुरू नानक आया।


जब गुरु नानक जी 12 वर्ष के हुए तब  उनके पिता जी  ने उन्हें व्यापर करने के लिए अपने पास से 20 रूपये दिए और बोले अपना एक व्यापर शुरू करे और इस व्यापर  के माध्यम  से जान सको की व्यापर कैसे करते हैं. उसके बाद गुरु नानक जी पिता जी द्वारा दिए गया 20 रूपया गरीब और संत व्यक्तियों के लिए खाना खिलाने में खर्च कर दिया। और उसके बाद घर पहुचे तब उनसे पूछा गया व्यापार के लिए दिया गया 20 रुपये से कौन सा व्यापर किया? 
तब गुरु नानक जी ने मुस्कुराते हुए बताया की मैंने उन पैसों का सच्चा व्यापर किया। बताए चले की जिस जगह पर गुरु नानक जी नें पिता जी द्वारा व्यापर के लिए मिले धन से सच्चा व्यापर किया था और  गरीब और संत व्यक्तियों को भोजन कराया था. आज उस  स्थान पर  सच्चा सौदा नाम के  गुरुद्वारा बनाया गया है।

श्री जब गुरु नानक जी की के बारे में विस्तार से जानने के लिए, दिए गए लिंक पर जाए wikipedia
  • तो पढ़ते  हैं इस ब्लॉग के आर्टीकल में गुरु नानक देव के 20 अनमोल उपदेश जो सत्य का मार्ग दिखाती हैं 

हिंदी के बोल 
1 ईश्वर एक है.

2सदैव एक ही ईश्वर की उपासना करो। 3. जगत का कर्ता सब जगह और सब प्राणी मात्र में मौजूद है.

3सर्वशक्तिमान ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भय नहीं रहता.

4ईमानदारी से मेहनत करके उदरपूर्ति करना चाहिए.

5बुरा कार्य करने के बारे में न सोचें और न किसी को सताएँ.


हिंदी के बोल 
6 सदा प्रसन्न रहना चाहिए। ईश्वर से सदा अपने को क्षमाशीलता माँगना चाहिए.

7मेहनत और ईमानदारी से कमाई करके उसमें से जरूरतमंद को भी कुछ देना चाहिए.

8सभी स्त्री और पुरुष बराबर हैं.

9भोजन शरीर को जिंदा रखने के लिए जरूरी है पर लोभ-लालच व संग्रहवृत्ति बुरी है.

10कभी भी , किसी का हक, नहीं छीनना चाहिए .

हिंदी के बोल 
11 यदि किसी को धन की अथवा कोई अन्य मदद चाहिए तो हमें कदापि पीछे नहीं हटना चाहिए .

12माया (धन) को जेब में ही स्थान देना चाहिए, अपने हृदय में नहीं.

13संसार को जीतने से पहले स्वयं अपने विकारों पर विजय पाना अत्यावश्यक है.

14अहंकार मनुष्य को मनुष्य नहीं रहने देता अतः अहंकार कभी नहीं करना चाहिए.

विनम्र हो सेवाभाव से जीवन गुजारना चाहिए.

15अपनी कमाई का  1/10% परोकार के लिए एवं अपने समय का 1/10% प्रभु-सिमरन अथवा ईश्वर के लिए लगाना चाहिए.



हिंदी के बोल 
16 चिंता-मुक्त रहकर अपने कर्म करने चाहिए.
"नानक चिंता मत करो ,चिंता तिसहि हे.”

17प्रभु के लिए खुशियों के गीत गाओ, प्रभु के नाम की सेवा करो, और उसके सेवकों के सेवक बन जाओ.

18तेरी हजारों आँखें हैं और फिर भी एक आंख भी नहीं ; तेरे हज़ारों रूप हैं फिर भी एक रूप भी नहीं.

19उसकी चमक से सबकुछ प्रकाशमान है.

20दुनिया में किसी भी व्यक्ति को भ्रम में नहीं रहना चाहिए.
बिना गुरु के कोई भी दुसरे किनारे तक नहीं जा सकता है.



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