दोस्तों लाज़वाब शायरी के इस Post की Topic Saza Shayari हैं. इसमें आप पढ़ सकते हैं सज़ा शायरी 2 लाइन, सज़ा शायरी in Urdu, Saza Status, सज़ा शायरी 4 लाइन, पर बनी बेजोड़ शानदार सज़ा शायरी को, मित्रो आशा करता हूँ कि यह पोस्ट आप सभी शायरी के चाहने वालो को बेहद पसंद आएगी.
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41+ सज़ा शायरी |
पढ़ते हैं अब Saza शायरी के इस पोस्ट को और अपने मनपसंद सजा शब्द पे बानी शायरी को अपने दोस्तों को शेयर करते हैं.
41+ सज़ा शायरी 2 लाइन - Saza Status
◼ 1
भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी।
बड़ा बे-अदब हूँ सज़ा चाहता हूँ।।
◼ 2
एकांत दुनियाँ का सबसे अच्छा तोहफा है।
और अकेलापन दुनियाँ की सबसे बड़ी सजा।।
◼ 3
मैंने आजाद किया अपनी वफाओ से तुझे।
बेवफाई की सजा मुझको सुनाई जाए।।
◼ 4
क्या पता उसको कि वो मुझ को सज़ा देता है।
वो तो मासूम है, जीने की दुआ देता है।।
◼ 5
दर्द लेंगे ना हम दवा लेंगे।
अपने हिस्से की कुछ सजा लेंगे।।
◼ 6
मिली सज़ा जो मुझे वो किसी खता पे नहीं "फराज़"
मुझ पे जुर्म साबित हुआ जो वफा का था।।
◼ 7
तवारीखों में कुछ ऐसे भी मंजर हमने देखे हैं।
के लम्हों ने खता की थी और सदियों ने सजा पायी।।
◼ 8
सज़ा ये है कि नींदें छीन ली दोनों की आँखों से।
खता ये है कि हम दोनों ने मिलकर ख्वाब देखा था।।
◼ 9
जो दे रहे हो हमें ये तड़पने की सज़ा तुम।
हमारे लिए ये सज़ा ऐ मौत से भी बदतर है।।
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◼ 10
उसको छूना जुर्म है तो मेरी सजा-ए-मौत का इंतजाम करो।
मेरे दिल की जिद है की आज उसे सीने से लगाना है।।
Usako Chhuna Zurm Hai To, Meri Saza-E-Maut Ka Intzaam Karo,
Mere Dil Ki Zid Hai Ki Aaj Use Seene Se Lagaana Hai.
सज़ा शायरी
◼ 11
उस शहर में ज़िंदा रहने की सजा काट रही हूं।
जहां जज्बातों की कोई कदर ही नहीं।।
Us Shahar Me Zinda Rahane Ki Saza Kant Rahi Hun,
Janha Zajbaato Ki Koi Kadar Hi Nahi.
सज़ा शायरी in Urdu
◼ 12
सच्ची मोहब्बत एक जेल के कैदी की तरह होती है।
जिसमे उम्र बीत भी जाए तो सजा पूरी नहीं होती।।
Sachchi Mohabbat Ek Jel Ke Kaidi Ki Tarah Hoti Hai,
Jisase Umr Bit Jaaye To Saza Puri Nahi Hoti.
◼ 13
सजा देनी तो मुझे भी आती है।
पर तुम तकलीफ से गुजरो।
ये मुझे गवारा नहीं।।
◼ 14
कीमत बता तू मुझे,सजा-ए-मोहब्बत से रिहाई की।
बहुत तकलीफ होती है तेरी यादों की सलाखों में।।
◼ 15
नज़र अंदाज़ करने की सजा देनी थी तुमको।
तुम्हारे दिल में उतर जाना ज़रूरी हो गया था।।
◼ 16
तुम तो दुनिया से निराली ही सजा देते हो।
कितने चालाक हो क़ातिल दुआ देते हो।।
◼ 17
आखिर देता मुझे ये कैसी सजा भी तू।
है गलती भी तेरी और खफ़ा भी है तू ।।
◼ 18
जो बरस जाये वही बादल अच्छे हैं।
जो निगाहों को सजा दे वही काजल सच्चे हैं।।
◼ 19
कैदी तेरी जुल्फों का है आजाद जहां से।
मुझको रिहाई तो सजाओ ने दिलाई।।
◼ 20
कोई अच्छी सी सज़ा दो मुझको।
चलो ऐसा करो भुला दो मुझको।।
◼ 21
अंजाम-ए-वफ़ा ये है जिसने भी मोहब्बत की।
मरने की दुआ माँगी जीने की सज़ा पाई।।
Anjaam-e-Wafa Ye Hai Jisne Bhi Mohabbat Ki,
Marne Ki Duaa Maangi Jeene Ki Sazaa Payi.
◼ 22
मन करता है, कर लूं मैं कबूल गुनाह अपना।
पर सजा जो मुझे, उनके दिल में उम्र-कैद की मिले।।
सज़ा शायरी 4 लाइन
◼ 23
यूँ तो मुजरिम बहुत हैं शहर में, पर सज़ा कोई नही पाता।
इश्क़ वो गुनहां है, जिसें करना, हर किसी को नही आता।।
◼ 24
ये तेरी हल्की सी नजरअंदाजी और थोड़ा सा इश्क़।
ये तो बता. ये मजा-ऐ-इश्क़ है या सजा-ऐ-इश्क।।
◼ 25
सजा मिली उन गुनाहों की जो मेरे हरगिज न थे।
मैं वो आँसू भी रोया जो खान साहब के नसीब में न थे।।
◼ 26
मौहब्बत की मिसाल में, बस इतना ही कहूँगा।
बेमिसाल सज़ा है, किसी #बेगुनाह के लिए।।
◼ 27
आँखों ने तुमकों चाहा इतना जरुर है।
दिल को सजा मत देना ये बेकसूर है।।
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◼ 28
प्यारे, मैं उन गुनाहो के सदके,
जो तेरा दीदार करा दे।
हर सजाए सर आखो पर मेरी,
जो मुझे तुमसे मिला दे।।
सज़ा शायरी in Urdu
◼ 29
उस से कह दो के, मेरी सजा कुछ कम कर दे।
हम पेसे से मुजरिम नहीं हैं, बस गलती से इश्क हुआ है।।
Us Se Kah Do Ke Meri Saza Kuchh Kam Kar De
Ham Peshe Se Muzrim Nahi Hai Bas Galati Se Ishk Hua Hai
◼ 30
मुझे मंजूर थे वक़्त के सब सितम मगर।
तुमसे मिलकर बिछड़ जाना ये सजा ज़रा ज्यादा हो गयी।।
Mujhe Manjur The Waqt Ke Sab Sitam Magar,
Tumase Milkar Bichhad Jana Ye Saza Jara Jyaada Ho Gayi.
41+ सज़ा शायरी 2 लाइन - Saza Status
◼ 31
ये दारू नहीं दवा हैं
अगर मैं इसे पीना छोड़ दू तो।
मेरी जिंदगी मुझ पर सजा हैं।।
सज़ा शायरी
-◼ 32
किसने माँगी थी इन आँखों से रिहाई।
जाने किस ज़ुर्म की सज़ा है ये जुदाई ।।
◼ 33
खुदा ने पूछा क्या सजा दूँ उस बेफ़वा को।
दिल से आवाज़ आई मोहब्बत हो जाये उसे भी।।
◼ 34
खता हो गयी तो फिर सजा सुना दो,
दिल में इतना दर्द है वजह बता दो।
देर हो गयी है याद करने में जरुर,
लेकिन तुमको भुला देंगे ये ख्याल मिटा दो।।
◼ 35
हमारे कुछ गुनाहों की सज़ा भी साथ चलती है।
हम अब तन्हा नहीं चलते दवा भी साथ चलती है।।
मुनव्वर राना
◼ 36
आखों की सजा तब तक है जब तक दीदार ना हो।
दिल की सजा तब तक है जब तक प्यार ना हो।
ये जिंदगी भी एक #सजा है जब तक आप जैसा यार ना हो।।
सज़ा शायरी 4 लाइन
◼ 37
गुनाह करके सजा से डरते हैं,
ज़हर पी के दवा से डरते हैं।
दुश्मनों के सितम का खौफ नहीं हमें,
हम तो दोस्तों के खफा होने से डरते है।।
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◼ 38
न जिद है न हमे कोई गुरूर है
बस तुम्हे पाने का हमे सुरूर है।
इश्क गुनाह है तो गलती की
अब सजा जो भी हो हमे मंजूर है।।
Naa Zid Hai Na Hame Koi Gurur Hai,
Bas Tumhe Paane Ka Hame Surur Hai.
Ishq Gunaah Hai Galati Ki,
Ab Saja Jo Bhi Ho Hame Manjur Hai.
◼ 39
उदास न बैठो फ़िज़ा तंग करेगी ,
गुजरे हुए लम्हो की सज़ा तंग करेगी।
किसी को न लाओ दिल के इतना करीब ,
क्योंकि उसके जाने के बाद उसकी हर अदा तंग करेगी।।
◼ 40
बिछड़ के तुमसे ज़िन्दगी सज़ा लगती है,
ये सांस भी जैसे मुझसे ख़फ़ा लगती है।
अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किससे करूँ?
मुझको तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफा लगती है।।
◼ 41
काश गिरफ्तारी तेरी नजरो मे होती।
तो हम दिल को उम्र कैद की सज़ा दिलवा देते।।
Kash Giraftari Teri Nazaro Me Hoti,
To Ham Dil Ko Umr Kaid Ki Saza Dilawa Dete..
◼ 42
ख़्वाहिशों का कैदी हूँ मैं,
मुझे हक़ीक़तें सज़ा देती है।
आसान चीज़ों का शौक नहीं,
मुझे मुश्किलें ही मज़ा देती है।।
◼ 43
मोहब्बत की सजा बेमिसाल दी उसने,
उदास रहने की आदत सी डाल दी उसने।
मैंने जब अपना बनाना चाहा उसको,
बातों बातों में बात टाल दी उसने।।
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