जानते हैं नाग पंचमी की कथा - Nag Panchami Ki Katha और Nag Panchami 2018 कब हैं. व नाग देवता के 12 स्वरूपों को और साथ ही नाग पंचमी पूजा के शुभ मुहूर्त को.
तो देर कैसी तो देर कैसी आईये जानते हैं नाग पंचमी 2018 कब हैं और इसकी पौराणिक कथा ?
तो देर कैसी तो देर कैसी आईये जानते हैं नाग पंचमी 2018 कब हैं और इसकी पौराणिक कथा ?
नाग पंचमी की कथा, कहानी - Nag Panchami Ki Katha
नागपंचमी क्या हैं?
नाग पंचमी का पर्व हिन्दुओं का एक पवित्र पर्व हैं, इसे सावन माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता हैं. और इस दिन सम्पूर्ण भारतवर्ष के अलग-अलग प्रांतो में पारंपरिक तरीकों से अलग-अलग स्वरूपों में नाग देवता की पूजा अर्चना की जाती हैं.
12 स्वरूपों की पूजा:
नाग पंचमी के दिन नाग देवता के 12 स्वरूपों की पूजा बड़े ही श्रद्धा भाव से की जाती हैं. नाग देवता के 12 स्वरूपों के नाम इस प्रकार हैं.
12 स्वरूप:
- शेष,
- अनंता,
- तक्षक,
- कालिया,
- वासुकी,
- पद्मनाभा,
- शंखपाल,
- अश्वतारा,
- कंबाल,
- पिंगल,
- धृतराष्ट्र, और
- कार्कोटक.
नाग पंचमी के दिन अगर कोई व्यक्ति इन 12 स्वरूपों के दर्शन पूजन करता हैं तो वो पुण्य का भागी होता हैं. वैभव धन स्वास्थ्य का लाभ मिलता हैं.
Nag Panchami 2018 कब हैं?
नाग पंचमी का यह पर्व इस वर्ष "बुधवार 15th अगस्त 2018" को मनाया जाएगा. और पूजा का शुभ मुहूर्त हैं 05:54 से लेकर 08:30 तक और इसकी समय सीमा कुल 02 घंटा 36 मिनट की हैं.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ही नाग जाति की उत्पत्ति हुई थी और इसी लिए आज का यह दिन नाग पंचमी के पर्व के रूप में मनाया जाता हैं. इस पर्व के पीछे ढेरों कथाएं प्रचलित हैं
तो दोस्तों आईये जानते हैं नाग पंचमी से जुडी पौराणिक इस कथा के बारे में
नागदेव बने भाई:
प्राचीन-काल के समय एक रईस सेठजी जी हुआ करते थे, उनके सात पुत्र थे. और सातो पुत्रो की उन्होंने शादी करा दी. सेठ जी जी की सातो बहुओं में श्रेष्ठ गुणों वाली चरित्र से श्रेष्ठ उत्तम विचार सुशील भाव वाली बहु सबसे छोटे पुत्र की पत्नी थी. लेकिन उसका दुनिया में कोई भी भाई नहीं था. इस बात का उसे बहुत दुःख था.
एक दिन की बात है, घर की बड़ी बहू ने घर की छोटी बहुओं को बोला घर को लीपने के लिए पीली मिटटी को बाग़ से लाने के लिए हम सब को साथ चलना हैं,
तब सातो बहु एक साथ बाग़ की और चल पड़ी हाथो में डलिया, खुरपी आदि लेकर, फिर बाग़ में पहुंच कर वहा से पीली मिट्टी खुरपी से खोदने लगी
तब सातो बहु एक साथ बाग़ की और चल पड़ी हाथो में डलिया, खुरपी आदि लेकर, फिर बाग़ में पहुंच कर वहा से पीली मिट्टी खुरपी से खोदने लगी
तभी अचानक उसी जगह से एक सर्प निकला जिसे देखकर बड़ी बहु बुरी तरह से डर गयी और हाथ में ली हुयी खुरपी से नाग पर हमला करने लगती हैं.
तभी छोटी बहु बीच में आ गयी और बोली इस सर्फ़ को मत मारो. ये बेजुबान हैं, निरपराध हैं, इसे छोड़ दो मत मारो और इसी तरह बड़ी बहु से छोटी बहु ने नाग को बचा लिया.
और उसके बाद छोटी बहु सर्फ़ के पास बैठ गयी और कुछ देर बाद छोटी बहु ने नाग से कहा आप कही मत जाना मैं आती हूँ थोड़ी देर में ये बोल कर वो चली गयी.
Nag Panchami Ki Pooja.
लेकिन घर के कामों में इतनी व्यस्त हो गयी और भूल गयी की किसी को वादा कर के आयी हैं थोड़ी देर बाद आने का.
जब दूसरे दिन सुबह हुयी तो याद अरे मैंने तो बाग़ में नाग से वादा करके आयी थी आप जाना नहीं मैं आती हूँ.
यह बात याद आते ही दौड़ी-दौड़ी बाग़ पहुँची जहा नाग से वादा कर के आयी थी. बाग़ में पहुँच देखा उसी स्थान पर वह नाग वैसे ही बैठा था.
तब छोटी बहन ने अपने हाथो को जोड़ते हुए बोली नाग भैया प्रणाम वहा इंतज़ार में बैठा नाग छोटी बहु के मुख से भईया सुनकर क्रोधित सर्फ़ ने बोला तुमने मुझे भईया बोला जा मैं तुझे तेरी गलती के लिए छमा करता हूँ वरना मैं असत्य बोलने वाले को कभी माफ़ नहीं करता मैं. उसे डस लेता हूँ तू आज बच गयी भईया बोल कर मुझे.
तब छोटी बहन ने दुबारा छमा मंगाते हुए बोली भईया मुझसे अपराध हो गया हैं आप छमा कर दे अपनी बहन को तब नाग ने बोला कोई बात नहीं आज से मैं तेरा भाई हुआ और तुम मेरी बहन, जो मांगना हो आज मांग लो बहन मुझसे
Nag Panchami Ki Katha - Pooja
तब छोटी बहु ने बोला नहीं भैया मेरे कोई भाई नहीं था आप मेरे भाई बन गए मुझे सब मिल गया. आज मैं बहुत खुश हूँ आप मेरे भाई बन गए. तरह नाग और छोटी बहु भाई-बहन बन गए. काफी देर तक बाते हुयी भाई बहन के बीच और उसके बाद वो वापस घर लौट आयी.
कुछ दिन इसी तरह बीत गए एक दिन अचानक सर्फ़ इंसान का रूप धारण करके सेठ जी के घर पहुंचा और अपनी बहन (छोटी बहु) को पुकारने लगा.
तब घर वाले आ गए और उससे पूछा आप कौन हो तब उसने बताया मैं उसका भाई हूँ मैं बचपन से ही बाहर चला गया था आप मेरी बहन को मेरे साथ भेज दे मैं उसे कुछ दिनों के लिए घर ले जाना चाहता हूँ.
जब घर वालो को इंसान रूप धारण किये गए नाग की बातो का विश्वास पूर्ण-रूप से हो गया तब सेठ जी ने छोटी बहु को उसके साथ भेज दिया.
कुछ दूर तक दोनों साथ चले फिर नाग ने बताया बहन मैं वही नाग हूँ जिसको तुमने भाई बनाया था. तुम डरना नहीं मुझसे मैं भाई हूँ तुम्हारा. छोटी बहु ने बोला बहन को भाई से डरना क्या आप मेरे भाई हो आप ही मेरी हर कठनाईयो से रक्षा करोगे.
और इसी तरह दोनों साथ चलते गए और एक गुफा के पास पहुंचे नाग ने बोला अंदर चलने में कठनाई हो तो मेरी पूंछ को पकड़ लो तुम और इसी तरह दोनों अंदर प्रवेश हो गए गुफा वाले घर में चारो ओर आँखों को चका-चौंध कर देने वाला नज़ारा था हर तरह हीरे जवाहरात फैले हुए थे.
नाग ने अपनी बहन को माँ से मिलाया पूरा घर दिखाया था. अगले दिन माँ ने छोटी बहु से बोला मैं काम से जा रही हूँ तुम अपने भाई को दूध पीला देना.
तब बहन ने बोला आप जाओ माँ भईया को मैं दूध पीला दूंगी. छोटी बहु ने ध्यान नहीं दिया और भाई को गर्म दूध पीला दिया जिसके कारण नाग का मुँह जल गया.
जब घर नाग की माँ पहुंची देखा बेटे का मुँह जल गया था तब बहुत क्रोधित हुयी तब नाग ने देखा माँ क्रोधित ज्यादा हो गयी तब माँ को समझा बुझा के मनाया और अपनी बहन को बचाया माँ क्रोध से.
उसके बाद अपनी बहन को ढेर सारा सोना, चांदी हीरे जवाहरत दिया और साथ ही में एक सांप ने अपनी बहन को हीरे-मणियों का हार भी दिया और अपनी बहन को उसके ससुराल (घर) छोड़ आया.
छोटी बहु के घर वाले बहुत प्रसन्न हुए सब देख कर मणियों से जड़ित हार की प्रसंशा पुरे नगर में फ़ैल गयी इतना अद्भुत हार किसी ने नहीं देखा था.
और यह बात धीरे धीरे रानी के पास पंहुची तब राजा से रानी ने वह हार लाने को कहा तब राजा ने अपने मंत्री को आदेश दिया रानी के लिए उस हार को लाने का.
महाराज के आदेश का पालन करते हुए मंत्री सेठ जी के घर पहुंचा और सेठ जी बोला अपनी बहु का वो हार मुझे दे दो महारानी इसे पहनेगी महाराज का हुक्म हैं यह सुन कर डर के मारे छोटी बहु से हार लेकर सेठ जी मंत्री को दे दिया.
यह देख कर छोटी बहु को बहुत ही दुःख हुआ. आँखों से आंसू निकल पड़े और अपने नाग भाई को याद करने लगी भाई को आने के लिए प्रार्थना करने लगी भईया आप जल्दी से यहाँ आओ. रानी से मेरा हार दिलाओ जो आपने मुझे दिया था.
नाग पंचमी की कथा, कहानी - Nag Panchami Ki Katha.
बहन की पुकार सुन कर नाग भाई प्रकट हो गया. तब छोटी बहु ने बोला भईया वो हार जब रानी पहने तो हार सर्फ़ बन जाए और जब मुझे रानी हार लौटा दे तब वापस हीरे-मणियों का बन जाए. तब नाग ने बोला ठीक हैं बहन.
जब रानी ने उस हार को जैसे ही अपने गले में पहना वो हार सर्फ़ बन गया यह देखकर रानी की चीख निकल गयी चिल्लाने लगी रोने लगी रानी की आवाज़ सुन कर राजा रानी के पास आया और नज़ारा देख कर चकित सा हो गया और तुरंत मंत्री को बुलाया और आदेश दिया की जल्द से जल्द सेठ की छोटी बहु को यहाँ लेकर आओ.
मंत्री आनन-फानन में सेठ जी के घर पहुंचा और सेठ जी से बोला आप तत्काल अपनी अपनी छोटी बहु को हमारे साथ दरबार में भेजो महाराज ने बुलाया हैं.
यह सुनकर सेठ जी डर गए और अपनी छोटी बहुत को खुद ही साथ लेकर मंत्री के साथ दरबार पहुंच गए. मन ही मन सोचते रहे अब क्या होगा क्या कोई दंड देंगे महाराज मेरी बहु को यही सोचते हुए बहुत ही उदास और डरे हुए थे सेठ.
राजा ने छोटी बहु से पूछा तुमने हार में या जादू-टोना किया हुआ हैं जो महारानी के पहनते ही सर्फ़ बन गया?
Nag Panchami Ki Katha.
तब छोटी बहु ने बड़े ही सहज भाव में बोली हे राजन मुझे छमा करे यह हार खास मेरे भाई ने दिया हैं और की यह खूबी हैं कि मेरे अलावा कोई और पहनेगा तो वो हार नाग बन जाएगा और जब मैं पहनूंगी तब वापस मणियों से जड़ित हार बन जायेगा.
यह बात सुन कर राजा अचंभित सा हुआ और छोटी बहु को आदेश दिया की अगर ऐसा हैं तो तुम इसे पहन कर दिखाओं कैसे यह नाग बना हार वापस मणियों जड़ित होता हैं.
महाराज के आदेश का पालन करते हुए छोटी बहु ने वह हार अपने गले ही धारण किया वैसे ही वह हार मणियों जड़ित हो गया. यह देख कर वहा उपस्थित सभी लोग अचम्भित से हो गए.
राजा को यह पूर्णतः विश्वास हो गया यह जो कह रही हैं बात जो सत्य हैं. राजा बहुत ही ज्यादा प्रसन्न हुआ और छोटी बहु को ढेरो स्वर्ण मुद्राएं पुरस्कार में दी और बड़े ही सम्मान के साथ उसको महल से विदा किया.
घर में छोटी बहु के पास धन दौलत और राजन से मिला सम्मान कारण बड़ी बहु को ईर्ष्या होने लगी और इसी ईर्ष्या की वजह से छोटी बहु के पति के कानो को भरने लगी और आखिर इतना धन दौलत इसे कौन देता हैं कौन हैं वो ?
बड़ी भाभी की बातो को लेकर रात में जब छोटी बहु से उसके पति ने पूछा सच सच बताओ आखिर कौन हैं वो जो तुम्हे ये सब दे रहा हैं. सुनकर छोटी बहु उदास हो गयी की कैसे बताऊ की यह सब मेरे भाई नाग ने दिया और मन ही मन नाग को याद करने लगी.
बहन की मन की पीड़ा देखकर नाग ने सोचा अगर मैं इसी पल वहा नहीं पहुंचा तो इसका पति इसके आचरण पर संदेह करेगा, अगर वो ऐसा किया तो मैं उसे डस लूंगा और यही सोच के साथ नाग वह तत्काल प्रकट हो गया.
नाग के प्रकट होते ही छोटी बहु ने हाथ जोड़ कर बोली भईया आप आ गए और तब नाग ने बताया उसके पति को हां मैं देता हूँ ये सब अपनी बहन को यह सुनकर छोटी बहु का पति बहुत ही प्रसन्न हुआ.
और इसी के बाद से सब नाग पंचमी का यह त्यौहार मानाने लगे और साथ ही सभी स्त्रिया नाग को अपना भाई मानकर इस पावन पर्व मनाने लगी बड़ी ही श्रद्धा और भाव से.
Nag Panchami Ki Katha
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जैसा की दोस्तों आप को समझ में आ गया होगा इस कथा से कि कैसे नाग पंचमी के पर्व शुरुआत हुयी अगर यह पोस्ट पंसद आये तो इसे शेयर करना ना भूले अपने दोस्तों को.
नाग पंचमी की कथा - कहानी
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