जाने अवनींद्रनाथ टैगोर की जीवनी - Abanindranath Tagore Biography
दोस्तों आज के आर्टिकल Biography में जानते हैं "इंडियन सोसाइटी ऑफ़ ओरिएण्टल आर्ट" के मुख्य चित्रकार और संस्थापक अवनींद्रनाथ टैगोर की जीवनी (Abanindranath Tagore Biography in Hindi) को.
अवनींद्रनाथ टैगोर कौन थे?
भारतीय कला में स्वदेशी मूल्यों के वे पहले सबसे बड़े समर्थक, महान चित्रकार, थे अवनींद्रनाथ टैगोर, जो इंडियन सोसाइटी ऑफ़ ओरिएण्टल आर्ट’ के मुख्य चित्रकार और संस्थापक भी थे.
जिन्होंने अपनी प्रभावशाली भूमिका निभाई और अपना पूर्ण योगदान दिया बंगाल स्कूल ऑफ़ आर्ट की स्थापना में. और इसकी स्थापना से आधुनिक भारतीय चित्रकारी के क्षेत्र में विकास हुआ.
अवनींद्रनाथ टैगोर एक महान चित्रकार के साथ वो लेखन कार्य में भी प्रसिद्धि प्राप्त की थी, और वे बंगाली बाल साहित्य के प्रख्यात लेखक भी थे. और उन्हें अबन ठाकुर नाम से भी वो लोकप्रिय थे.
उनके द्वारा लिखी गयी पुस्तकें जो बांग्ला बाल-साहित्य में अपना एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखती हैं. उनमे से कुछ खास पुस्तकें में से हैं जैसे राजकहानी, बूड़ो अंगला, नलक, खिरेर पुतुल आदि.
ब्रिटिश शासन काल में अंग्रेजो द्वारा आर्ट स्कूलों में पश्चिमी चित्रकला शैली को पढाया जाता था. जिसे ख़त्म करने के लिए अवनींद्रनाथ टैगोर ने राजपूत और मुग़ल शैली का संगम किया और पेंटिंग्स में आधुनिकता लाने की पहल की. जो लोगो में अपनी अनोखी छाप छोड़ने लगी. और पश्चिम की भौतिकतावादी कला को छोड़ भारत की परंपरागत कलाओं को अपनाने पर जोर दिया इसी कारण एक भारतीय शैली की कला का उदय हुआ.
उनकी यह कला लगातार प्रसिद्धि पति गयी गयी और एक समय ऐसा आया की, ब्रिटिश कला संस्थानों में उसे राष्ट्रवादी भारतीय कला के नाम से प्रोत्साहित किया जाने लगा.
कई नए चित्रकारों को इस भारतीय शैली की कला ने काफी प्रभावित किया. संविधान को अपनी चित्रकारी से सजाने वाले नंदलाल बोस के जीवन में भारतीय शैली की इस कला की गहरी छाप थी. और वे अवनीन्द्रनाथ टैगोर के प्रख्यात शिष्यों में से एक थे.
इस शैली की चित्रकारी का प्रभाव उनके बाद के चित्रकारों पे पड़ा उनमे से कुछ के खास नाम इस प्रकार हैं.
- नंदलाल बोस,
- असित कुमार हलधर,
- क्षितिन्द्रनाथ मजुमदार,
- मुकुल डे,
- मनीषी डे
- जामिनी रॉय
प्रारंभिक जीवन:
अवनींद्रनाथ टैगोर का जन्म कोलकता के जोरासंको में 7 अगस्त 1871 में एक प्रसिद्ध ‘टैगोर परिवार’ में हुआ. बचपन से चित्रकारी के प्रति लगाव था क्युकी उनके दादा गिरिन्द्रनाथ टैगोर और बड़े भाई गगनेन्द्रनाथ टैगोर भी चित्रकार थे.
शिक्षा: उन्होंने कोलकाता के संस्कृति कॉलेज से शिक्षा ली और उसी दौरान उन्होंने चित्रकारी भी सीखी. और उसके बाद सन 1890 में कलकत्ता स्कूल ऑफ़ आर्ट में अपना दाखिला लिया. और उन्होंने वहा पेस्टल का प्रयोग और चार्ल्स पामर द्वारा तैल चित्र बनाने की कला यूरोपिय शिक्षक ओ.घिलार्डी से सीखी.
करीब 9 साल तक संस्कृति कॉलेज में रह कर शिक्षा प्राप्त की. और उसके बाद अंग्रेजी की शिक्षा प्राप्त करने के लिए कोलकाता के सेंट जेविएर्स कॉलेज प्रवेश लिया. और एक वर्ष तक अंग्रेजी की शिक्षा ग्रहण की. उन्होंने कोलकाता के गवर्नमेंट स्कूल ऑफ़ आर्ट के उप-प्रधानाचार्य और इतालवी चित्रकार सिग्नोर गिल्हार्दी से सन 1897 में चित्रकारी के और गुण सीखे.
करीब 9 साल तक संस्कृति कॉलेज में रह कर शिक्षा प्राप्त की. और उसके बाद अंग्रेजी की शिक्षा प्राप्त करने के लिए कोलकाता के सेंट जेविएर्स कॉलेज प्रवेश लिया. और एक वर्ष तक अंग्रेजी की शिक्षा ग्रहण की. उन्होंने कोलकाता के गवर्नमेंट स्कूल ऑफ़ आर्ट के उप-प्रधानाचार्य और इतालवी चित्रकार सिग्नोर गिल्हार्दी से सन 1897 में चित्रकारी के और गुण सीखे.
विवाह:पढाई के दौरान ही उनका विवाह करा दिया गया था. भुजगेन्द्र भूषण चटर्जी की पुत्री सुहासिनी देवी से सन 1889 में.
जाने अवनींद्रनाथ टैगोर की जीवनी - Abanindranath Tagore Biography
उन्होंने ब्रिटिश चित्रकार चार्ल्स पाल्मर के यहाँ करीब 3 से 4 वर्षो तैल चित्र और छायाचित्र को सिखा. साथ ही कास्ट ड्राइंग, पस्टेल, फोलिअगे ड्राइंग की शिक्षा ली. और चित्रकारी के क्षेत्र में निपुणता हासिल की.
उनके काम से कलकत्ता स्कूल ऑफ़ आर्ट के प्रधानाचार्य इ.बी. हैवेल काफी प्रभावित थे. उनके द्वारा बनाये गए कई प्रसिद्ध व्यक्तियों के तैल चित्र जो बेमिशाल थे. लोगो ने उनकी इस कला को काफी सराहा. उनकी बढती ख्याति के चलते कलकत्ता स्कूल ऑफ़ आर्ट के प्रधानाचार्य इ.बी. हैवेल ने अवनीन्द्रनाथ टैगोर को उप-प्रधानाचार्य के पद का प्रस्ताव दिया.
उन्होंने विद्यालय में रह कर कई महत्वपूर्ण कार्य व परिवर्तन किये. विद्यालय के दीवारों पर बने पश्चिम की भौतिकतावादी कला (यूरोपिय चित्रों) को हटवाया और परंपरागत कलाओं यानि भारतीय शैली की चित्रों को बनवाया. साथ ही ललित कला विभाग की स्थापना की. उनकी सबसे महत्पूर्ण उपलब्धि की श्रृंखला में से एक थी अरेबियन नाइट्स जो सन 1930 में बनाई थी.
साहित्यकार:कई कलाओं में निपुण अबनिन्द्रनाथ टैगोर एक चित्रकार के साथ साथ एक प्रसिद्ध साहित्यकार भी थे. उन्होंने बंगला भाषा में बाल-साहित्य का सृजन भी किया था. उन्होंने बहुत सी पुस्तके लिखी जो काफी प्रसिद्ध हुयी.
कहानियों संग्रह-
- क्षिरेर पुतुल,
- बुरो अंगला,
- राज कहानी
- शकुंतला आदि थी
महत्वपूर्ण रचनाएँ
- अपन्कथा,
- भुतापत्री,
- घरोया,
- जोरासंकोर धरे,
- पथे विपथे,
- नलका
- नहुष आदि
इस सब के साथ उन्होंने कला दर्शन और सिद्धांत पर भी अपने कई लेखों को लिखा जिससे प्रभावित होकर कई विद्वानों तथा कलाकारों से प्रशंसा मिली. और धीरे धीरे उनकी ख्याति देश ही विदेश तब फैलती गयी. और उनके प्रशंसकों की संख्या भी बढती गयी.
प्रमुख चित्रकला
- प्रवासी यक्'
- शाहजहाँ की मृत्यु
- बुद्ध और सुजाता
- कच और देवयानी
- उमर ख़य्याम आदि थे.
निधन:
5 दिसम्बर, 1951 में उनका निधन हो गया था. उनके निधन के बाद सबसे बड़े पुत्र तोपू धबल ने अपने पिता अबनिन्द्रनाथ टैगोर द्वारा बनाये गए सभी सभी चित्रों को बिन्द्र भारती सोसाइटी ट्रस्ट के नाम कर दिया.
दोस्तों आपने जाना इस Biography के आर्टिकल में अवनींद्रनाथ टैगोर की जीवनी (Abanindranath Tagore Biography in Hindi) को.
आशा करता हूँ यह लेख आप को पसंद आया होगा. अगर इसे लिखने में हमसे कोई भूल या त्रुटी हुयी हो तो छमा कीजियेगा और साथ ही हमारा इस विषय पर मार्ग दर्शक बन कर अपनी सलाह दीजियेगा. धन्यवाद आप सभी पाठको का ह्रदय से.
आशा करता हूँ यह लेख आप को पसंद आया होगा. अगर इसे लिखने में हमसे कोई भूल या त्रुटी हुयी हो तो छमा कीजियेगा और साथ ही हमारा इस विषय पर मार्ग दर्शक बन कर अपनी सलाह दीजियेगा. धन्यवाद आप सभी पाठको का ह्रदय से.