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मन्मथनाथ गुप्त की जीवनी – Manmath Nath Gupta Biography In Hindi

मन्मथनाथ गुप्त की जीवनी – Manmath Nath Gupta Biography In Hindi

दोस्तों आज के आर्टिकल (Biography) में जानते हैं, अंग्रेजो से भारत की आज़ादी के लिए 13 वर्ष की आयु में ही स्वतन्त्रता संग्राम की आग में कूदने वाले काकोरी काण्ड के नायक मन्मथनाथ गुप्त की जीवनी” (Manmath Nath Gupta Biography) के बारे में.

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एक झलक मन्मथनाथ गुप्त की जीवनी पर :

मन्मथनाथ गुप्त जी का जन्म वाराणसी में 7 फरवरी 1908 को हुआ. इनके पिता जी का नाम वीरेश्वर था. और वह नेपाल के विराटनगर में स्थित स्कूल के हेडमास्टर थे.


Manmath Nath की दो वर्ष की प्रारंभिक शिक्षा नेपाल से हुयी और उसी के बाद वो वाराणसी चले आये. उस दौरान भारत में अंग्रेजो के खिलाफ़ आज़ादी को लेकर जंग सी छिड़ी हुयी थी. और इसी कारण उनके ऊपर भी इसका असर पड़ा और देश की आज़ादी में अपना भी योगदान देने के लिए आगे आये.

ब्रिटिश युवराज का आगमन :
 सन 1921 में जब भारत में ब्रिटिश युवराज के आगमन पर एक समारोह के दौरान उनका स्वागत करना था और इसका प्रस्ताव आया तो लालाजी ने इसका विरोध किया और कांग्रेस के मंच से सभी को संबोधित करते हुए तेजस्वी भाषण दिया जिसमें देश की अस्मिता प्रकट हुई थी.

पहली गिरफ्तारी :
Manmath Nath ने भी इसका विरोश किया और ब्रिटिश युवराज के बहिष्कार को लेकर पर्चे बताने लगे तभी उन्हें ब्रिटिश पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. और इन्हें तीन माह की सजा सुना दी गयी.

काशी विद्यापीठ दाखिला :
जब जेल से रिहा हुए तब अपनी आगे की शिक्षा के लिए उन्होंने अपना दाखिला काशी विद्यापीठ में कराया और वही से उन्होंने विशारद की परीक्षा को उत्तीर्ण किया.

क्रांतिकारी जीवन में प्रवेश  :
और उसी दौरान उनकी मुलाकात क्रांतिकारियों से हुयी. और देश की आज़ादी के लिए कुछ और करने मौका इन्हें प्राप्त हुआ और इसी के साथ पूर्णरूप से क्रांतिकारी बन गए. और क्रांतिकारी गतिविधियों में अपना योगदान देना शुरू कर दिया.

सशस्त्र क्रान्ति :
इसी की बाद शाहजहाँपुर  में एक गुप्त बैठक रखी गयी. जिसका उदेश्य  राष्ट्रीय स्तर पर अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित कोई बहुत बडी क्रान्तिकारी पार्टी बनाने का क्युकि वो समझ रहे थे कि अहिंसा के जरिये आज़ादी मिलना मुश्किल हैं. सशस्त्र क्रांति ही भारत को स्वतंत्रता दिला सकती हैं. इस गुप्त बैठक की अगुवाई राम प्रसाद बिस्मिल जी ने की.

मन्मथनाथ गुप्त की जीवनी – Manmath Nath Gupta Biography In Hindi

काकोरी काण्ड :
क्रान्तिकारियों द्वारा ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध सशस्त्र क्रान्ति को गति देने के लिये धन की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए इसी  बैठक में सभी क्रांतिकारी मौजूद थे.

इस बैठक में अंग्रेजो के खिलाफ़ जंग लड़ने के लिए अंग्रेजी सरकार का ही खजाना लूटने की योजना बनायीं गयी. और इस योजना को सफल बनाने के लिए सब के अपने अपने कार्य निर्धारित किये गए. इस लूट कांड में अहम् Manmath Nath Gupta जी को भी मिली.
क्रान्तिकारियों द्वारा ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध सशस्त्र क्रान्ति छेड़ने की खतरनाक मंशा से ब्रिटिश सरकार के खजाने को लूटने के लिए रामप्रसाद बिस्मिल की अगुवाई में  9 अगस्त, 1925 में “काकोरी डक़ैती” की इस पूरी घटना को अंजाम दिया था. इस घटना को  हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के केवल दस सदस्यों ने सफलता पूर्वक अंजाम देने के लिए अपना योगदान दिया था इनमे शामिल थे.
  1. मन्मथ लाल गुप्त
  2. राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी
  3. अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ
  4. रामप्रसाद बिस्मिल
  5. चन्द्रशेखर आ ज़ाद
  6. ठाकुर रोशन सिंह
  7. सचिन्द्र बख्शी
  8. केशव चक्रवर्ती
  9. बनवारी लाल
  10. मुकुन्द लाल
इस घटना को सफल बनाने के लिए सभी ने अपने अपने नाम को बदल लिया था.

गिरफ्तारी :
“काकोरी डक़ैती” को लेकर अंग्रेजी हुकूमत पागल सी हो उठी पूरी तरह से बौखला सी गयी और निर्दोषों को पकड़कर जेलों में ठूँसना प्रारम्भ कर दिया. और 26 सितम्बर 1925 को बिस्मिल जी के साथ पूरे देश में 40 से भी अधिक लोगों को काकोरी डकैती मामले में गिरफ्तार कर लिया गया. इस गिरफ्तारी में वो भी पकडे गए थे.

14 वर्ष की कारावास :
और इस डकैती कांड में उनके ऊपर भी कई दिनों तक मुकदमा चला और आखिर में अदालत ने उन्हें सजा सुना दी और इस सजा में उनको 14 वर्ष की कारावास हुयी.

लेखन कार्य :
लेखन के प्रति उनकी रूचि बहुत ही पहले से थी जिसके कारण उन्होंने कारावास के दौरान जेल जीवन के अध्ययन और मन ने उसे पुष्ट किया. जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने कई पुस्तके लिखी अलग अलग विषयो पर लगभग 80 से ज्यादा पुस्तके  प्रकाशित भी हुयी.

प्रमुख रचनाएँ : 
  • भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन का इतिहास
  • क्रान्ति युग के अनुभव
  • चंद्रशेखर आज़ाद
  • विजय यात्रा
  • यतींद्रनाथ दास
  • कांग्रेस के सौ वर्ष
  • कथाकार प्रेमचं
  • प्रगतिवाद की रूपरेखा
निधन :
इसी के साथ वक़्त बिताता गया और वो  समय भी आ गया जब प्रसिद्ध क्रांतिकारी और सिद्धहस्त लेखक मन्मथनाथ गुप्त का निधन  26 अक्टूबर 2000 में हो गया और सदा सदा के लिए हमसे दूर चले गए
दोस्तों अगर क्रांतिकारी मन्मथनाथ गुप्त की जीवनीManmath Nath Gupta Biography In Hindi के इस लेख को  लिखने में मुझ से कोई त्रुटी हुयी हो तो छमा कीजियेगा और इसके सुधार के लिए हमारा सहयोग कीजियेगा. आशा करता हु कि आप सभी को  यह लेख पसंद आया होगा. 

धन्यवाद आप सभी मित्रों का जो आपने अपना कीमती समय इस Wahh  Blog को दिया.

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