जाने गुरु पूर्णिमा 2017 के महत्व और दोहे को / Guru Purnima 2017
दोस्तों "Guru Purnima 2017" के इस आर्टिकल को लिखने से पहले 9 जुलाई को पड़ने वाली गुरु पूर्णिमा की आप सभी को ढेर सारी बधाईयाँ "गुरु पूर्णिमा 2017" को आप के अपने गुरु द्वारा और ज्ञान प्राप्ति हो और आप का ह्रदय गुरु वंदन में डूबा रहे.![]() |
जाने गुरु पूर्णिमा 2017 का महत्व और दोहे / Guru Purnima 2017 |
जैसा कहा गुया हैं की "गुरु बिन होय न ज्ञान" ये बात सच हैं जैसे हमारे जीवन में जितना माता-पिता का महत्व उससे कही ज्यादा गुरु का महत्व होता हैं. माता-पिता हमें जीवन देते हैं लेकिन गुरु हमें उस ज़िन्दगी को जीना सिखाता है हमें अपने अंदर भरे ज्ञान से जीवन के हर राह पर चलना सिखाता हैं
जाने गुरु पूर्णिमा 2017 के महत्व को / Guru Purnima 2017
गुरु महिमा पर कबीरदास जी कहते हैं
गुरु बिन ज्ञान न उपजै, गुरु बिन मिलै न मोष.गुरु बिन लखै न सत्य को, गुरु बिन मैटैं न दोष..
अर्थात- "हे सांसारिक प्राणीयों" गुरु के बिना ज्ञान को प्राप्त करना असम्भव हैं, और जब तक गुरु की कृपा शिष्य पर नहीं होती तब तक इंसान अज्ञान रूपी अंधकारो में खोया रहता हैं. संसार के मोह-माया में बंधा रहता हैं. क्युकी गुरु के बिना सत्य-असत्य, ज्ञान-अज्ञान, उचित-अनुचित, जैसी चीजों का उसे ज्ञान नहीं हो पाता और मोक्ष की कभी उसे प्राप्ति नहीं होती. इसी लिए किसी सच्चे गुर के शरण जाओ और उनके चरणों को स्पर्श करो क्युकी गुरु ही है जो हमें सत्य का मार्ग दिखाते हैं.
दोस्तों अब आईये जानते हैं इस Guru Purnima 2017 के इस आर्टिकल में कब हैं गुरु पूर्णिमा? क्या महत्त्व होता हैं जीवन में गुरु पूर्णिमा का और कैसे मनाये इस गुरु पूर्णिमा के पर्व को साथ ही कैसे करे गुरु पूजन. और जिनके पास गुरु ना हो तो किसे और कैसे बनाये अपना गुरु अपने जीवन में बैठे अन्धकार को मिटाने के लिए.
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- गुरु पूर्णिमा का महत्त्व?
गुरु पूर्णिमा का महत्व हमारे जीवन में उसी तरह हैं जैसे सूर्य की तपन से तपती धरती को वर्षा के पानी से शीतलता मिलती हैं उसी तरह गुरु पूर्णिमा के दिन गुर के चरणों में बैठ गुरु की आराधना करने से हमें ज्ञान, शान्ति, भक्ति और योग शक्ति को प्राप्त करने की शक्ति मिलती है. गुरु पूर्णिमा का महत्व इस दिन इसी लिए ज्यादा हैं हमारे जीवन में. क्युकी गुरु ही हमें अन्धकार से उजाले की ओर ले जाते हैं.
भारत वर्ष में शिष्य द्वारा गुरु की पूजा करने की यह परम्परा प्राचीनकाल से चली आ रही. जब अपनी शिक्षा के लिए शिष्य अपने गुरु के आश्रम में जाता हैं और वही रह कर अपने गुरु से निःशुल्क शिक्षा को प्राप्त करता हैं. और अज्ञानी विद्यार्थी अपने गुरु से शिक्षा ग्रहण कर ज्ञान के मार्ग में प्रवेश करता हैं. ज्ञान प्राप्ति कारण गुरु के प्रति शिष्य की श्रद्धा भाव बढती हैं और इसी श्रद्धा भाव से प्रेरित होकर शिष्य गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरु की पूजा अर्चन करता हैं और अपनी शक्ति व सामर्थ्यानुसार गुरु को दक्षिणा देता हैं और गुरु से आशीर्वाद प्राप्त करता हैं. और इसी लिए आज भी गुरु पूणिमा का बहुत महत्व हैं.
- गुरु किसे कहते हैं क्या अर्थ हैं गुरु
अज्ञान तिमिरांधश्च ज्ञानांजन शलाकया,चक्षुन्मीलितम तस्मै श्री गुरुवै नमः
हिंदी अर्थ: इस श्लोक में कहा गया है की जिस तरह इंसान को अपनी भक्ति के लिए ईश्वर की आवश्यकता होती हैं उसी तरह ज्ञान के लिए गुरु की आवश्यकता होती हैं. क्युकी सद्गुरु की ही कृपा से हमें साक्षात्कार ईश्वर से होता हैं. गुरु की कृपा के बिना कुछ भी संभव नहीं हैं. गुरु के पूजन से ही हमें सब देवो की पूजा करने ही जैसा फल प्राप्त होता हैं..
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गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरः, गुरु साक्षात् पर ब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नम:
- गुरु ना हो तो किसे बनाये
अगर आप के जीवन में कोई योग्य गुरु ना हो तो आप श्रीमद्भागवत गीता का अध्ययन करे और भगवान श्रीकृष्ण को गुरु मानकर उनकी पूजा करे और इस पूजन से आप को एक सच्चे गुरु का साथ मिलेगा और भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद रूपी ज्ञान की प्राप्ति होगी. साथ ही आप ब्रह्मा जी को भी गुरु मान कर उनकी पूजा अर्चना कर सकते हैं.
ॐ बृं बृहस्पतये नमःगुरु पूर्णिमा के दिन ऊपर दिए गए गुरु मन्त्र का जरुर उच्चारण करे इस मंत्र सिद्ध करने का ये खास दिन होता है.
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- कैसे करे गुरु पूर्णिमा पर गुरु पूजन?
यह पर्व गुरु के प्रति शिष्य के श्रद्धा से जुड़ा हैं. इसलिए इस पूजा के लिए अपने ह्रदय-मन में गुरु का सर्वप्रथम बार-बार स्मरण करे.
इस दिन प्रातः काल उठे और अपने घर की साफ़ सफाई करे, उसके बाद स्नान करे स्वक्ष वस्त्र को धारण करे. उसके बाद घर में स्थित पूजा करने वाले स्थान पर जाए, गंगा जल को उस स्थान छिड़के जहा आप को पूजा करनी हैं. और उस स्थान पर एक लकड़ी की साफ़ पाटी रख ले. और उस पाती पर एक सफ़ेद वस्त्र बिछाए और उस पर 12-12 रेखाओ से व्यास पीठ बना ले. उसके बाद
“गुरुपरम्परासिद्धयर्थ व्यासपूजां करिष्ये”
इस मन्त्र का उच्चारण करे और संकल्प ले. हे गुरुदेव आज मैं जो कुछ भी हु और मेरे अन्दर जो भी ज्ञान हैं वो सब आप की कृपा से हैं मुझ जैसे अज्ञानी को आप ने ही ज्ञान का मार्ग दिखाया हैं. इस संकल्प के बाद चारो दिशाओं में चावल को छोड़े. और इसके बाद आप उन महान गुरुओं का भी नाम ले जिन्होंने पुरे विश्व को अपने ज्ञान से प्रकाशमान किया हैं. जैसे ऋषि वेदव्यास, ऋषि वशिष्ठ, विश्वामित्र, भारद्वाज, तुलसीदास, कबीरदास, रामकृष्ण परमहंस, आदि जिनसे भी आप को प्रेरणा मिली हो. और इसके बाद अपने गुरु का स्मरण करे. अगर हो सके तो ऋषि व्यास जी द्वारा लिखे हुए शास्त्रों और ग्रंथो का भी अध्यन करे. और अपने गुरु द्वारा प्राप्त शिक्षाओं को अपने आचरण में लाने की कोशिश करें.
- दोहे व श्लोक गुरु वंदना के लिए
1= "गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, का के लागूं पाय
बलिहारी गुरु आपणे, गोबिंद दियो मिलाय"
2= "शब्द गुरु का शब्द है, काया का गुरु काय,
भक्ति करै नित शब्द की, सत्गुरु यौं समुझाय"
3= "गुरु को नित वंदन करो, हर पल है गुरूवार,
गुरु ही देता शिष्य को, निज आचार-विचार"
4= "गुरु-चरणों में बैठकर, गुर जीवन के जान,
ज्ञान गहे एकाग्र मन, चंचल चित अज्ञान"
5= "यह तन विषय की बेलरी, गुरु अमृत की खान,
सीस दिये जो गुरु मिलै, तो भी सस्ता जान"
6= "गुरु-चरणों में स्वर्ग है, गुरु-सेवा में मुक्ति,
भव सागर-उद्धार की, गुरु-पूजन ही युक्ति"
7= "शिष्यों के गुरु एक है, गुरु को शिष्य अनेक,
भक्तों को हरि एक ज्यों, हरि को भक्त अनेक"
8= "बहुत गुरु भै जगत में, कोई न लागे तीर,
सबै गुरु बहि जाएंगे, जाग्रत गुरु कबीर"
9= "जाका गुरू है गीरही, गिरही चेला होय,
कीच कीच के घोवते, दाग न छूटै कीव"
10= "विश्वामित्र-वशिष्ठ बिन, शिष्य न होता राम,
गुरु गुण दे, अवगुण हरे, अनथक आठों याम"
11= "गुरु को पारस जानिए, करे लौह को स्वर्ण,
शिष्य और गुरु जगत में, केवल दो ही वर्ण"
12= "गुरु किया है देह का, सतगुरु चीन्हा नाहिं'
भवसागर के जाल में, फिर फिर गोता खाहि"
दोस्तों गुरु पूर्णिमा 2017 पर लिखे इस लेख को लिखने में मुझसे जो भी त्रुटी हुयी हो उसे छमा करे और हमारा इस विषय में सहयोग दे ताकि मैं अपनी गलतियों को सुधार सकू. आशा करता हूँ की आप को यह लेख पसंद आया होगा.