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"21+" श्री रमण महर्षि के अनमोल उपदेश ➖ Ramana Maharshi Quotes in Hindi

Shri Ramana Maharshi Quotes in Hindi

बीसवीं सदी के महान संत समाज सेवक संत श्री रमण महर्षि का जन्म- 30 दिसम्बर, 1879 को तमिलनाडु के तिरुचुली गाँव में हुआ था. उस दिन 'अद्र दर्शन" का पर्व था यानि की भगवान शिव का प्रसिद्ध पर्व था. बचपन में का नाम उनके माता पिता ने  वेंकटरमण अय्यर रखा था. उनके पिता सुन्दरम अय्यर की कुल चार संतान थी जिसमे से वेंकटरमण दुसरे नंबर के पुत्र थे.  लेकिन बाद में वेंकटरामन अय्यर 'रमण महर्षि' के नाम से विश्व में प्रसिद्ध हुए।

श्री रमण महर्षि के अनमोल उपदेश / Ramana Maharshi Quotes in Hindi

 महर्षि रमण बीसवीं सदी के महान संत रूप में जाने जाते हैं अगर उन्हें  वैदिक संस्कृति के प्राण रचियता के रूप में कहा जाय तो कोई बड़ी बात नहीं होगी. उन्होंने अपने कठिन तप से ज्ञान और आत्मा की खोज की और उसे जागृत किया, उनके ह्रदय में जीव जंतु और संसार रूपी इस इस दुनिया में सभी के प्रति दया भाव था. और सभी के हित को लेकर चिंतन भी करते थे. जिन्हें आज अरुणाचल के प्रसिद्ध योगी, श्री महर्षि रमण के नाम से हम सभी जानते हैं।

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दोस्तों आईये आज पढ़ते हैं विश्व  प्रसिद्ध बीसवीं सदी के महान संत समाज सेवक संत श्री रमण महर्षि जी के कुछ अनमोल उपदेशो को इस आर्टिकल के Ramana Maharshi Quotes in Hindi के माध्यम से जो जीवन और सत्य के मार्ग पर चलने की हमें प्रेरणा देती हैं.

1 🍀 :: सभी जीव सदैव आनन्द (ख़ुशी) की इच्छा रखते हैं, ऐसा आनन्द जिसमें दु:ख  का कोई स्थान ना  हो,
"जबकि हर व्यक्ति अपने आप से सब से अधिक  प्रेम करता है. इस प्रेम का  केवल एक कारण आनन्द है,  इसलिए आनन्द अपने स्वयं के भीतर हमेशा होना चहिए..❗"
2 🍀 :: मन क्या हैं? मन अंतरआत्मा की एक आश्चर्यजनक शक्ति है. जो शरीर के भीतर मैं के रुप “में” उदित होता है,
"  वह मन है. जब सूक्ष्म मन, मस्तिष्क एवं इन्द्रियों के द्वारा बहिर्मुखी होता है, तो स्थूल नाम, रुप की पहचान होती है❗"
3 🍀 :: जब वह हृदय में रहता है तो नाम, रुप विलुप्त हो जाते है. यदि मन हृदय में रहता है तो "मै" या अहंकार जो समस्त विचारों का स्रोत है, चला जाता हैं और केवल आत्मा या वास्तविक शाश्वत "मैं" प्रकाशित  होगा. जहाँ अहंकार लेशमात्र नहीं होता, वहाँ आत्मा है

4 🍀 :: केवल शांति अस्तित्वमान है. हमें केवल शांत रहने की जरूरत है. शांति ही हमारी वास्तविक प्रकृति है. हम इसे नष्ट करते हैं.  इसे नष्ट करने की आदत को बंद करने की जरुरत है
"श्री रमण महर्षि के अनमोल उपदेश"

Ramana Maharshi Quotes in Hindi

5 🍀 :: जब तक इंसान अज्ञानी  रहता है, तभी तक पुनर्जन्म का अस्तित्व बना रहता है. वास्तव में पुनर्जन्म है ही नहीं ना वह पहले था, न अभी है, न आगे होगा. यही एक सत्य है
"श्री रमण महर्षि के अनमोल उपदेश❗"
6 🍀 :: मृत्यु शरीर को मार सकती है, "अहं-मैं-आत्मा"   अनिश्वर है, अमर है, मृत्यु की हर एक सीमा से बाहर है

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7 🍀 :: मन दो नहीं हैं   अच्छा और बुरा. वासना के अनुरूप अच्छे और बुरे मन का स्वरूप हमारे सामने आ जाता है
"Ramana Maharshi Quotes❗"
8 🍀 :: सबसे उत्कृष्ट दान ज्ञान-दान है

9 🍀 :: परमात्मा और आत्मा एक ही वस्तु तत्व के दो नाम हैं

10 🍀 :: अहंकार मूल पाप है. लोभ, क्रोध व मोह ऐसी की छायाएं हैं

11 🍀 :: हृदय गुहा के मध्य में केवल ब्रह्म आत्मा के रूप में अहम् -अहम् की स्फुरणा के साथ चमकता है. श्वाँस-नियमन या एकाग्रचित्त आत्म-विचार  द्वारा अपने भीतर गोता लगाकर हृदय में पहुँचो. इस प्रकार से आप आत्मा में स्थिर हो जायेंगे
"Ramana Maharshi Quotes"
12 🍀 :: अपने आपको जानो आत्मज्ञान परमोच्च ज्ञान है, सत्य का ज्ञान है

13 🍀 :: दुःख का कारण बाहर नहीं है. यह तो अपने भीतर है. दुःख की उत्पत्ति अहंकार से होती है

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14 🍀 :: मौन की भाषा शांतिमयी वाणी में जो सक्रियता और शक्ति है, वह भाषण प्रवचन कदापि नहीं है

श्री रमण महर्षि के अनमोल उपदेश
15 🍀 :: व्यक्ति समाज से तिरस्कृत होने पर दार्शनिक, शासन से प्रताड़ित होने पर विद्रोही, परिवार से उपेक्षित होने पर महात्मा और नारी से अनादृत होने पर देवता बनता है

16 🍀 :: स्वप्न एवं जाग्रत अवस्था में कोई अन्तर नहीं है, सिवाय  इसके कि स्वप्न छोटा तथा जाग्रत अवस्था लम्बी होती है. दोनो ही मन के परिणाम है. वास्तविक अवस्था जिसे तुरिया (चतुर्थ) कहा जाता है, जाग्रत, स्वप्न एवं नींद के पार है
"Ramana Maharshi Quotes❗"
17 🍀 :: इस बात का विचार मत करो कि तुम मरने के बाद क्या होंगे, समझना तो यह है कि तुम इस समय क्या हो

18 🍀 :: ईश्वर को जानने के पहले अपने आपको जानना चाहिए आत्मा से भिन्न ईश्वर की स्थिति नहीं है. संसार आत्मा को न जानने के कारण ही दुखी हैं
"श्री रमण महर्षि के अनमोल उपदेश❗"
Ramana Maharshi Quotes in Hindi
19 🍀 :: तुम भविष्य की क्यों चिंता करते हो. तुम तो अपना वर्तमान ही नहीं जानते हो, वर्तमान को संभालो, भविष्य स्वयं अपने आप ठीक हो जाएगा

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20 🍀 :: विधाता प्राणियों के भाग्य का  उनके कर्म  के अनुसार निपटारा करते हैं. जो नहीं होना है, वह नहीं होगा
"श्री रमण महर्षि के अनमोल उपदेश❗"
21 🍀 :: सर्वोत्तम और परम शक्तिमयी भाषा मौन है, मौन शांति का भूषण है. उपदेश तो नितान्त मौन रहकर दिया जा सकता है

 🌞 ::  Final Word ::🌞 

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