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होली की मस्ती के साथ गधों की चर्चा राजनीति के अखाडें में जरुर देखे

हास्य रचना-इधर भी गधे हैं, उधर भी गधे हैं-ओम प्रकाश 'आदित्य' 

आज एक तरफ राजनीतिक संग्राम चल रहा हैं और दूसरी तरफ फागुन का महिना (होली) की मस्ती का दौर भी  शुरू हो गया हैं. और इस माहौल में व्यंग, हास्य और मस्ती और एक  दुसरे पे छीटाकसी की भी शुरुवात हो गई हैं.
Idhar-Bhi-Gadhe-Hain-Udhar-Bhi-Gadhe-Hain

आज कल सोशल मिडिया हो या राजनीति का अखाडा हर जगह गधों की ही चर्चा हैं. और गधों पर लिखी एक हास्य कविता जो इस टाइम सोशल मिडिया की सुर्खिया बना हुआ हैं .

जैसा की आप जानते हैं भारत के युवा कवि और आम आदमी पार्टी के नेता डॉ. कुमार विश्वास इन्ही गधो को लेकर चर्चा में बने हैं. डॉ. ओमप्रकाश ‘आदित्य  द्वारा लिखी गधों पर एक लोकप्रिय हास्य कविता को लेकर.  जिसके बोल हैं  ‘इधर भी गधे हैं, उधर भी गधे हैं’ इस लोकप्रिय कविता को डॉ. कुमार विश्वास ने अपने आवाज़ में रिकार्ड कर और इस विडिओ को ट्विटर पर शेयर किया है. और ये विडियो बड़ी तेज़ी के साथ वायरल होता जा रहा हैं. इस कविता को सुन लोग लोटपोट हुए जा रहे हैं इसे सुन जुबान ही नहीं दिल भी बोल देता हैं "Wahh Kya Baat Hain"

तो देर कैसी आईये सुनते हैं डॉ. कुमार विश्वास की आवाज़ में इस कविता को जिसे लिखा हैं प्रसिद्ध कवि डॉ. ओमप्रकाश "आदित्य" जी ने 



इधर भी गधे हैं, उधर भी गधे हैं


इधर भी गधे हैं, उधर भी गधे हैं
जिधर देखता हूं, गधे ही गधे हैं

गधे हँस रहे, आदमी रो रहा है

हिन्दोस्तां में ये क्या हो रहा है


जवानी का आलम गधों के लिये है

ये रसिया, ये बालम गधों के लिये है


ये दिल्ली, ये पालम गधों के लिये है

ये संसार सालम गधों के लिये है


पिलाए जा साकी, पिलाए जा डट के

तू विहस्की के मटके पै मटके पै मटके


मैं दुनियां को अब भूलना चाहता हूं

गधों की तरह झूमना चाहता हूं


घोडों को मिलती नहीं घास देखो

गधे खा रहे हैं च्यवनप्राश देखो


यहाँ आदमी की कहाँ कब बनी है

ये दुनियां गधों के लिये ही बनी है


जो गलियों में डोले वो कच्चा गधा है

जो कोठे पे बोले वो सच्चा गधा है


जो खेतों में दीखे वो फसली गधा है

जो माइक पे चीखे वो असली गधा है


मैं क्या बक गया हूं, ये क्या कह गया हूं

नशे की पिनक में कहां बह गया हूं


मुझे माफ करना मैं भटका हुआ था

वो ठर्रा था, भीतर जो अटका हुआ था

डॉ. ओमप्रकाश ‘आदित्य  


Idhar Bhi Gadhe Hain, Udhar Bhi Gadhe Hain.





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